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या नही । ऋत हमारा यह उत्तर विल्कुल स्पष्ट एव यथार्थ है ।
अव, चतुर्भुज भाई से अधिक वातचीत करने पर हमे पता चलता है कि उनकी स्थिति ऐसी है जिसे सामान्यतया सुखी कह सकते है । उनके वथनानुसार घर के सामान्य खर्च के लिए उनकी प्रानदनी पर्याप्त है, परन्तु उन्हें ग्रपने पुत्र के कॉलेज की उच्च शिक्षा के लिए होने वाले खर्च को निभाने मे कठिनाई पडती है ।
इस वात से निश्चित हो जाता है कि वे गरीब नही है । वैरिस्टर की उदारता के स्वक्षेत्र की जो ग्रपेक्षा उनकी ज्ञाति के होने के कारण पूर्ण होती थी वह यहाँ कुछ कमजोर पड जाती है, और अन्य अपेक्षाएँ तो अभी बाकी ही है । इन सयोगो में हम यह निश्चित धारणा बना लेते है कि उन्हे वैरिस्टर साहब की उदारता का लाभ नही मिलेगा । फिर भो उनकी सफलता-असफलता का श्राधार इस बात पर है कि उदारता विपयक वैरिस्टर साहब के 'स्वक्षेत्र' की अपेक्षा पूर्ण होती है, इस बात की प्रतीति उन साहब को किस प्रकार होती है । प्रत छठे भग का आश्रय लेकर हम चतुर्भुज भाई से कहेंगे
" बैरिस्टर साहब की उदारता नही है और प्रवक्तव्य है ।" अर्थात् हमे नही लगता कि चतुर्भुज भाई गरीब है | त बैरिस्टर साहव पर क्षेत्र की अपेक्षा से उदार नही है, जब कि उसके सिवा दूसरी पेक्षाओ के विषय मे चित्र अस्पष्ट होने के कारण चतुर्भुज भाई उनके पास जायें तो नतीजा क्या होगा सो हम नही जानते, उसका वर्णन नही कर सकते ।
हमारा यह उत्तर चतुर्भुज भाई के सामने एक ऐसा