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"कुछ उदाहरण और तर्क के साथ समझाइये ।" उसे प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मैने कहा ।
यह सुनकर उसने अपनी वात को आगे बढाते हुए कहा "देखिये, जैन लोगो का कहना है कि पृथ्वी नारगी की भाति गोल नही लेकिन थाली की भांति गोल है । साथ साथ यह भी कहते हैं कि पृथ्वी घूमती नही बल्कि स्थिर है । लेकिन आज विज्ञान ने यह साबित कर दिखाया है कि पृथ्वी भाति गोल है और घूमती भी है । हा, तो अब आपका इस विषय मे क्या कहना है
नारगी की
वताइये कि
?"
इस प्रश्न का जबाव मुह से देने के बजाय मैने अपनी जेब से एक डॉलर निकालकर उसके हाथ मे रखते हुए पूछा " तुम्हारे हाथ मे जो यह डॉलर है वह किसकी तरह गोल है, यह बताओगे ?"
"इसे थाली के ग्राकार का चपटा, गोल कहा जा सकता है ।" उसने जवाव दिया ।
वाद मे मैने उस सिक्के को वापस ले लिया । टेवल पर वाये हाथ की पहली ग्रगुली से उस डॉलर को दवाकर मैने खडा कर दिया । फिर दाये हाथ की पहली अंगुली के छोर के पीछे की ग्रोर के नाखून की सहायता से एक जोर का धक्का देते हुए मैने तुरन्त ही वांये हाथ की अंगुली हटाली ।
टेबल पर वह डॉलर गोल-गोल घूमने लगा । लट्टू की तरह वह सिक्का तेज गति से घूमने लगा । उस घूमते हुए डॉलर की ओर इशारा करते हुए मैने पूछा: