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[ १८१ ] 'स्त्री' और नर को 'पुरुप' शब्द के द्वारा ही यह नय प्रकट करेगा।
तात्पर्य यह है कि यह शब्दनय लिग, वचन, काल आदि के द्वारा वस्तु के अर्थ मे जो परिवर्तन होता है उस परिवर्तन के अनुसार होने वाले अर्थ में वस्तु का परिचय देता है। इसमे मुख्यत. भापा के व्याकरण का महत्त्वपूर्ण स्थान होने के कारण इसे हम 'व्याकरणवादी' नाम दे सकेगे। अंग्रेजी मे इस नय को Ghammatical Approach कहा जा सकता है।
(६) समभिरूढ़ नय-- शब्दभेद से अर्थभेद माने सो समभिरूढ नय । एक ही वस्तु को अलग-अलग शब्दो द्वारा पहचाना जाता है तब वे शब्द 'पर्याय' Othen wonds कहलाते है। उन अलग २ शब्दो के व्युत्पत्तिजन्य अलग-अलग अर्थ होते है । यह नय उन भिन्न भिन्न अर्थो को स्वीकार कर शब्दभेद के कारण वस्तु को भी अलग मानता है। उपर्युक्त 'शब्द नय' कु भ, कलश, घडा, आदि भिन्न-भिन्न शब्दो द्वारा सूचित पदार्थ को एक ही मानता है, जब कि यह समभिरूढ नय उससे अधिक सूक्ष्म दृष्टि वाला होने के कारण इन तीनो गव्दो द्वारा सूचित पदार्थो को एक नही बल्कि भिन्न २ मानता है । इस नय का अभिप्राय ऐसा है कि 'यदि वस्तु का नाम बदलने से ( पर्यायभेद से ) वस्तु के अर्थ मे अन्तर न पडता हो तो फिर 'कु भ' और 'कपडे' मे भी अन्तर नही होगा।
इस प्रकार यह नय हमे सिखाता है कि एक ही वस्तु के शब्द ( नाम) मे फेरफार होने पर उसमे पहले शब्द (नाम) से भिन्न तथा निश्चित अर्थ होता है।
अग्रेजी मे इस नय को 'Specific knowledge' कहते