________________
१७४ वर्तमानवत् प्रस्तुत किया जाता है । इस प्रकारके प्रस्तुतीकरण
को 'पारोप नैगम' कहते है। ___'पारोप नैगम' के अन्तर्भूत कई शब्द प्रयोगो को 'उपचार' नैगम' कहते है । 'यह मेरा दाहिना हाथ है, ये मेरे शिरश्छत्र हैं, ये मेरे हृदय के हार है, यह मेरा सर्वस्व है' आदि अनेक बाते किसी अन्य के विषय मे भिन्न भिन्न कारणो से कही जाती है । ये सब ‘उपचार नैगम' के उदाहरण है।
(ई) किसी महापुरुष की पुण्यतिथि (सवत्सरी)के दिन हम कहते है "अाज उनका निर्वाण हुआ।" इसमे 'आज' शब्द वर्तमान-सूचक है, जब कि निर्वाण तो कई वर्षों पहले हुआ था, इसलिए भूतकालिक घटना है। फिर भी हम उस घटना का उल्लेख वर्तमानवत् करते है । भूतकाल की इस घटना को जब इस प्रकार वर्तमान मे प्रस्तुत करते है तब हम वर्तमान पर भूतकाल का आरोप करते है। यह भी 'आरोप नैगम' के अन्तगत है।
यहाँ हमने देखा कि भूतकाल को भविष्य-काल की तथा भूत और भविष्य के बीच वर्तमान की अपूर्ण घटनाप्रो को हम वर्तमानकाल मे वर्तमानवत् कहते है । यह 'नैगम नय' की एक ध्यान मे रखने योग्य बात है।
दूसरी बात वस्तु के सामान्य तथा विशेष स्वरूप की है। हम ऊपर बता चुके है कि 'नैगम नय' वस्तु के सामान्य तथा विशेप-दोनो स्वरूपो.को अलग अलग मानता है । इसे समझने के लिये उदाहरण देते है--- ___"विवाह या इसी प्रकार के किसी अन्य अवसर पर हम फोटो चिखवाते है । इस फोटो मे अपने परिवार के अतिरिक्त मित्र