________________
१३२
अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिये रोकेट की सी तेजी से वह वाज नीचे या रहा है ।
इस पक्षी पर तो घोर विपत्तिग्राही पडी है । एक चोर से शिकारी का बाण और दूसरी ओर से बाज की झपटा इन दो मे से किसी भी एक के कारण इस पक्षी की मृत्यु लगभग निश्चित मालूम होती है ।
ऊपर से प्राते हुए
सही सलामत उड
परन्तु होता यह है कि एकाएक सर्प तीर तत्पर शिकारी के पैर मे दश देता है, खिचा हुग्रा तो जाता है, निशाना चूक जाने से उस पक्षी को बदले, उस पक्षी का शिकार करने के लिये बाज को विध देता है । वह पक्षी वहाँ से जाता है। शीघ्र ही अपना लक्ष्य पाने के उस पक्षी को मारने के बदले स्वय मरता है, विध कर पेड के नीचे गिराने और अपने घर ले जाने के मनोरथ वाला शिकारी स्वयं शिकार वन जाता है । जिसकी मृत्यु निश्चित दिखाई देती थी, वह पक्षी अद्भुत प्रकार से बच जाता है ।
ध्यान मे लीन बाज, पक्षी को
"
ऐसी त्रिविध घटना का उदाहरण देकर भवितव्यतावादी पूछता है, " इसमे नियति को छोडकर और कौन सा कारण हो सकता है ? अवश्य यह भवितव्यता का कारण ही था । इससे आगे बढकर वे कहते है कि “गाढ जगल मे से और खू खार युद्ध के मैदान में से मनुष्य जीवित लौटते है और घर के विछौने मे सोये सोये मर जाते है । ऐसी सब घटनाओ के लिए केवल भवितव्यता के अतिरिक्त और कौनसा कारण हो सकता है ? " उनकी मान्यता है कि ' केवल भवितव्यता ही
छोडने को
तीर छुट
लगने के