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विपरीत किसी भी वस्तु का निर्णय करने में अनेकांतवाद का प्राश्रय न लिया जाय तो उससे सम्बन्धित निर्णय कवापि सच्चा नही हो सकता। ... अनेकांतवाद के सम्वन्ध मे इतना स्पष्ट ज्ञान प्राप्त कर लेने के बाद अब हम 'स्याद्वाद' पर सोच विचार करेगे। इससे पहले यह एक बात स्पष्ट करने की आवश्यकता है। कि इस प्रकरण मे कुछ वातो को बार बार दुहराया गया है इसलिये पुनरुक्ति दोप सा महसूस होगा। लेकिन विपय के ज्ञान को अधिक स्पष्ट करने तथा समझाने के एक मात्र उद्देश्य से जान बूझकर ऐसा किया गया है ।
अव आगे बढे ।