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विदेशों में जैन धर्म कांगड़ा.. कश्मीरक देश आदि में उन्होंने भव्य जैन मन्दिरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार कराया। इस कार्य के लिए उन्होने अरबो-खरबों रुपये खर्च किए। सिंध (पाकिस्तान) पंजाब, मुल्तान, गांधार, कश्मीर, सिन्धु-सौवीर आदि जनपदों में उन्होंने जैन मन्दिरों, तीर्थों आदि का नव निर्माण कराया। उन्होंने देश-विदेशों की तीर्थयात्रा के लिए. समय-समय पर 12 तीर्थ यात्रा संघ निकाले, जिनका खर्चा उन्होने स्वयं दिया। इनमें जैनाचार्य, साधु, साध्वियां तथा श्रावक-श्राविकायें हजारों की संख्या में सम्मिलित होते
रहे।18
अध्याय 30
कम्बोज (पामीर) जनपद में जैन धर्म
यह प्रश्नवाहन (पेशावर) से उत्तर की ओर स्थित था। यहा पर जैन धर्म की महती प्रभावना और विस्तार था। इस जनपद मे विहार करने वाले श्रमण संघ कम्बोजा या कम्बोजी गच्छ के नाम से प्रसिद्ध थे। गाधारा गच्छ और कम्बोजी गच्छ 17वी शताब्दी तक विद्यमान थे। तक्षशिला के उजाडे जाने के समय, तक्षशिला मे बहुत से जैन मन्दिर और स्तूप विद्यमान थे।
अध्याय 31
अरबिया में जैन धर्म
इस्लाम के फैलने पर अरबिया स्थित आदिनाथ, नेमिनाथ और बाहुबली के मन्दिर और अनेक मूर्तिया नष्ट की गई थी। अरबिया स्थित पोदनपुर जैन धर्म का गढ़ था और वहां की राजधानी थी तथा वहा बाहुबली की उत्तुंग -प्रतिमा विद्यमान थी। आदिनाथ (ऋषभदेव) को अरबिया में बाबा आदम कहा जाता है। मौर्य सम्राट सम्प्रति के शासन काल में वहां और फारस में जैन सस्कृति का व्यापक प्रचार हुआ था तथा यहा अनेक जैन बस्तिया विद्यमान थीं। मक्का की मस्जिद स्थित सगे-अस्वद, जिसका कि हज