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समिशन mtasy WRITE WHITE
ईसाकेन्वात्मके पहले सातों बादीले पौरमा पालेके लिये पुराणोंगामाचक निहार पारी बलों में गणितानामों की कुछ महोबदलके होते हए भीसम विवरणका एक अनोखा सादृश्य रहा है प्रानकी सहायताले.यापिइतिहासकी ऋमिकबाराका निवाकेना-कठिन है.', फिर भी मुख्य अनामका कम जानी जा सकता है। इस तरह भारत इतिहास का मुहर प्रसीत पवझमारे विनाविषयके रूप में सातादोरहम इसमें 'घरगे बढ़कर चलते हैं तो पुरुक्षेत्र का समय हमारे सामने एक निशान बन-माता विद्वानोका लिया है कि यह वासा के जन्म के पहले चौदहवीं सदी में हुमाया - "FA - बैनधर्मकी परम्परा अनुसार तीर्षकर भावतार के २५० साल बाद म० महावीरेका माविमा हुमाया होचो महापुरुष नमाम अन्तिम तीपंकर और अधिक मितवाली प्रचारक भी बनधर्मके कुल बीमांकासे की सस्या सोयीसा है। इससे सिद्ध होता है कि प्रापर्वनाप्रसे पहले बोनीबाईस ती शंकर हो गये हैं । इनमें से प्रयामातीकारका नामाकनभदेव सिह पादिमायनी कहते है बाईसवें तीनोकर कानामधानेमिनाथ मारिष्टनेमि जो दृष्यिवंशीय और बी.कृष्णाली के बेरे
Political History of 16HIK-D'1 1.CF'Rayoion. dhury बोपन्थ 'माय माथी'. यूजकारूप में तिबगाय भाषा में बिक हया या उसमें एक मामाय में 10 सका भारतीय बनवा का वर्णन है उसमे कैचे.सावको को लिखती में कलिगके ऋषक माया लिया बसा है | DK RarJayanral's Imperial History of India.
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