________________ - - - - ससतमोघाटितम् तनुसूलियवाटाप णाडि नगर पवेसयति सतसहसेहि च खनापयति पासितो च भठेवसे राजसिरिसद. सयतो सद-कर वण अनुगह अनेकानि सतसहसानि विसजति पोर-जानपद सतमे च वसं प्रसि-छत-धज-रध-रखि-तुरगसत-घटॉनि सदति सदसन सद-मंगलानि कारयति सतसह सेहि। अठमे च३२वसे महता 3 सेनाय मधुर अनुपणे / गोरधार घातापयिता राजगहान पपोडोग्यति३४एनिन च कम पदान पनादेन-सभीत-सेन-वाहने विषमचितु मधुर अपयातो यवनराज सवधर वासिन च सदगहतिन च म पान भोजन च पान भोजन च सदराज भिकान च / सवगह पतिकान च शव ब्रह्मणां न च पान भोजन ददाति / कलिंग जिन पलवभार 27. Indrajl और Jayaswal-,तिदससतम्' Barua और Sirear-तिवसमत' 28. D.C Sircar-'राजमेय' 29 DC Sircar--'सतम' 30 B. M Barua--'वसे' 31. DC Sircar-इस पवित का अलग पाठ किया है और उनका पाठ अधरा है।। 32 Prinsep- 'च" पढा ही नहीं है। 33. Barua -'महति सेनाय' 14 Prinsep-राजगउम् उपपीडापयति' Indrajl राजगह नताम् पीतापयति' Jayas wal-'राजगहम-उपपीतापयति' Sircar 'राजगह उपपीतापयति' 35. Jayaswal- 'कमापदान' 36. B. M. Barua-'येवन उदो' Jayaswal-'यवन राज' 37. Jayaswal दिमित' या 'जिमिति' 38. Barua-'कलिंग याति' -136 -