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मृतिमा निर्मित की गई है। हाथी पदम् प्रणाल लेकर प्रस्तुटित, पदके ऊपर खड़े हैं। बरामदे की छत को स्थिर रखने के लिये जो स्तभ थे, वे अनेक टूट फूट गये हैं। वाम पारवं के, स्तम में ४. फुट की ऊंचाई पर एक प्रहरी मूत्ति खोदी गई है। प्रहरी के पैर वस्त्र से ढंके हुए नहीं है । वे दाहिने हाथ में एक पी लेकर खड़े हुए हैं। उनके मस्तक के ऊपर एक यक्ष की मूर्ति है । युफा को दो भागों में विभक्त करने के लिये एक दीवाल है। प्रत्येक प्रकोष्ठ में दो दार है । द्वार के ऊपर भाग में रेलिंग है । रानी गुफा में जिस तरह के चित्र खोदे गये है, यहाँ पर भी उसी तरह रेलिंग में अति सुन्दर दृश्य और चित्रांकन किया गया है।
प्रथम दृश्य में एक वृक्ष तथा एक पुरुष बिछोने के ऊपर सोया प्रतीत होता है । निकट मे एक स्त्री पुरुष के पादमदन करने के समान मालूम पडती है । किन्तु दूसरा दृश्य दूसरे प्रकार का है। वहा पर युद्ध का वर्णन किया गया है। शेष दृश्य में फिर एक पुरुष है । एक स्त्री के साथ बातचीत करते हुए देखते है । ये उपाख्यान रानी गुफा के ऊपर दृश्य के प्रायः समान है । वहा पर मालुम पड़ता है कि कोई अपहता नारी को उद्धार करने का विषय प्रदर्शित किया गया है। सैनिक वर्ग विदेशी मालूम पड़ते है। भवदेव सूरोके पाश्वनाथ चरित्र में वर्णित हुआ है कि तीयंकर पाश्र्वनाथ ने किसी कन्याका कलिंग के यवन राजा के हाथ से उदार किया था। इस गल्प में यदि कुछ सत्यताहो सकती है, तब निश्चय ही गणेश मुफाके कठिन प्रस्तर के ऊपर रूप रेखा होगी। कारण गणेश गफा जैनियों की कीर्ति होने के कारण जैनधर्म के किन्हीं भी तीथंकर का जीवन वहां पर चित्र के प्राकार में उपासकों के सामने प्रदर्शित होना प्रति स्वाभाविक है। उदयगिरि के मध्य भाग में,धानर