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- पूज्य मुनि श्री के इन शब्दों ने उपस्थित कार्यकर्तायों की बाहों में मानो नया जोश भर दिया हो, उस कक्ष में उपस्थित सभी लोगों ने पूज्य मुनि श्री के जय की उद्घोष करते हुये नारे के रूप में कहा - अब तो रथ यही निकलेगा।
__27 नवम्बर 2004 का वह पावन दिन, सुबह से हो रथयात्रा की तैयारियों में पूरा नगर जुटा था और 128 30 बजे आचार्य विद्यासागर सभागार से प्रारम्भ हुई अद्भुत नगर गजरथ यात्रा।
____ अशोकनगर, मुंगावली, टीकमगढ, पथरिया, मालथौन से आये दिव्यघोषों में तो अघोषित प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही थी। पूरा नम्र गुंजायमान हो चला, पृथक्-पृथक् चल रहे तीन गज, चार घोड़े, दुल-दुल घोड़ी, नगर के बैण्ड, शहनाई, अनेक झांकी, मंगल कलश लिये के शरिया वस्त्रों में महिलाएं कतारबद्ध बालिकाएं, विद्यालय के बच्चे पुरुष वर्ग, बग्घी में श्री जिनवाणी जी, पालकी में विराजे भगवान्, विमान जी की अदभुत छटा और विशालकाय रथ और रथ के आगे परम पूज्य गुरुदेव मुनि श्री प्रमाणसागर जी महाराज । अद्भुत दृश्य था। जिसने देखा निहारते ही रह गया। यात्रा प्रारम्भ होने के 30 मिनिट पहले मेघों ने अपनी करवट बदली चारों तरफ धनघोर वर्षा की संभावना निर्मित हो गयी। तभी वर्षा की आशंका से भयभीत हमने पूज्य मुनि श्री से कहा - अब क्या होगा ? तुम अपना कार्य देखो कुछ नहीं होगा। इसे चमत्कार नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे? यात्रा में शामिल हजारों बन्ध, नर-नारी इस बात के साक्षी हैं। यात्रा का प्रथम बैण्ड सर्किट हाउस चौक होता हुआ रीवा रोड़ की ओर बढ़ रहा था, लेकिन अभी भी कुछ लोग प्रारम्भिक वेला में शामिल होने आचार्य विद्यासागर सभागार में बैठे अपने क्रम की प्रतीक्षा कर रहे थे। लगभग 2 कि. मी. से भी ज्यादा लम्बा जुलूस था यह । जैनेतर बन्धु पुष्पवृष्टि कर एव मिठाइयाँ वितरित करते हुये अपनी सहभागिता निभा रहे थे। नगर की पूरी सड़कें पुष्पमय हो गई थीं। पूज्य मुनिश्री के पग विहार में फूलों से पटी सड़क के द्वारा आ रहे व्यवधान को दूर करने के लिये कुछ कार्यकर्ता निरन्तर झाडू लगाकर मार्ग से पुष्प किनारे कर रहे थे। जिस किसी का घर इस यात्रा में पड़ा चाले वह हिन्दूहो, मुसलमान हो, सिक्ख हो, ईसाई रहा हो या अन्य मत का मानने वाला हो, सभी ने पूज्य मुनि श्री की आरती कर स्वयं को धन्य महसूस किया।
___ इस यात्रा में नगर के विधायक, महापौर, अनेक राजनेताओं सहित, सभागीय कमिश्नर श्री राव साहब भी शामिल हुये।
पूरा विवरण लिखने का प्रयास करेंगे तो शायद एक अलग से पुस्तक लिखी जा सकती है। लेकिन हमने ऊपर शीर्षक में अद्भुत शब्द का प्रयोग किया है, वह शब्द सार्थक हुआ इस यात्रा में इतिहास साक्षी रहेगा कि 27 नवम्बर 2004 को सतना नगर में परम पूज्य 108 श्री प्रमाणसागर जी महाराज के सानिध्य में 22 फिट ऊँचे रथ ने, जिसे गजयुगल द्वारा खींचा गया, निर्विघ्न रूप से निकला। पूरे मार्ग में जैसे वसुन्धरा और गहरी हो गई हो स्वयमेव विद्युत तार ऊपर हो गये हो, बिना किसी अवरोध के यात्रा पूर्ण की।
___ इस भव्य चमत्कारिक, अलौकिक, नगर गजरथ यात्रा में पूर नगर का, प्रशासन का, एवं यात्रा में शान्ति स्वरूप नर-नारियों का भी बहुत बड़ा योगदान था, पूज्य मुनि श्री के आशीष का प्रताप तो था ही कि उतना बड़ा ऐतिहासिक आयोजन हमारे नगर में निर्विघ्न सम्पन्न हुआ।
संदीप जैन संयोजक, कल्पदुम विधान एवं नगर गजरथ यात्रा
(मे. अवन्ती फार्मा, सतना)