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________________ 251/न-निकप गहरी श्रद्धा मेरे मन में है।' उन्होंने भौतिकवादी युग और धनसंग्रह के प्रति आम आदमी की बढ़ती हुई लालसा पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि 'विघटन भरे इस दौर से हमें ये तपस्वी हो उबार सकते हैं आज के इस सत्र को विशेषता सतना जैन समाज द्वारा लिये गये निर्णय और उसकी उद्घोषणा थी, जिसमें जैन समाज के मन्त्री श्री पवन जैन ने यह संकल्प घोषित किया कि 'सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी' के प्रथम चरण ( फिरोजाबाद) सहित सतना में सम्पन्न इस द्वितीय चरण में प्राप्त उत्कृष्ट शोध आलेखों का पुस्तकाकार प्रकाशन सतना जैन समाज द्वारा कराया जायेगा। श्री पवन जैन की इस उद्घोषणा का व्यापक स्वागत उपस्थित जनसमुदाय द्वारा किया गया । परम पूज्य मुनिश्री ने अपने मंगल प्रवचन में सतना जैन समाज के इस निर्णय की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुये अपने शुभाशीष प्रदान किये । उन्होंने आगत विद्वानों के श्रम की सराहना करते हुये परामर्श दिया कि 'विद्वानों को अपने जीवन में चारित्र की प्रतिष्ठा करना भी आवश्यक है।' सिं0 जयकुमार जैन ने आयोजन समिति की ओर से और समाज के अध्यक्ष श्री कैलाशचन्द जी ने समाज की ओर से सभी समागत विद्वानों व कर्ताकर्ताओं के प्रति आभार प्रकट किया। इस प्रकार से एक ऐसी गोष्ठी सतना में सम्पन्न हुई, जिसकी अनुगूंज दूर-दूर तक सुनाई देगी। गोष्ठी में प्राप्त निष्कर्षो को सन्दर्भ ग्रन्थ के रूप में प्रस्तुत किया जायेगा, इस गोष्ठी में ब्रह्मचारी राकेश भैया, श्री अशोक भैया सहित अन्य ब्रह्मचारी विद्वानों ने भाग लेकर चार चाँद लगा दिये । ब्रह्मचारियों के लिये मन्दिर परिसर में तथा व्रती विद्वानों के लिये कैलाशचन्द जी के निवास में ठहरने की सुन्दर व्यवस्था थी । अन्य विद्वानों के ठहरने की व्यवस्था बंजारा होटल में की गई थी। जहाँ सिं. अनुराग जैन व श्री वर्द्धमान जैन उनकी सुख-सुविधा का पूरा-पूरा ध्यान रखा। भोजनालय की व्यवस्था श्री प्रभात जैन की जिम्मेदारी पर थी। जिसे उन्होंने व उनकी टीम ने बखूबी निभाया। विद्वानों को स्टेशन से लाने व ले जाने की व्यवस्था श्री जितेन्द्र जैन (झाँसी), श्री विजय जैन (झॉसी), श्री पवन जैन, श्री प्रभात जैन, श्री अविनाश जैन सहित अन्य बन्धुओं ने संभाल रखी थी। सम्पूर्ण व्यवस्थाओं के कुशल संचालन में मुझे स्थानीय संयोजक द्वय सिं. जयकुमार जैन व श्री अनूपचन्द्र जैन एडवोकेट फिरोजाबाद का अप्रतिम सहयोग प्राप्त हुआ। जिसके लिये मैं उन दोनों के प्रति हमेशा आभारी रहूँगा । परम पूज्य मुनिराज श्री 108 प्रमाणसागर जी महाराज की प्रेरणा और उनके मार्गदर्शन में सम्पन्न यह 'सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी' तत्त्वार्थसूत्र के अनेक अनुद्घाटित तथ्यों पर से आवरण हटाने में सहायक सिद्ध होगी। सिद्धार्थ जैन संयोजक - सर्वोदय विद्वत् संगोष्ठी, (मे. स. सिं. प्रसन्नकुमार सुनीलकुमार जैन)
SR No.010142
Book TitleTattvartha Sutra Nikash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRakesh Jain, Nihalchand Jain
PublisherSakal Digambar Jain Sangh Satna
Publication Year5005
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size20 MB
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