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तस्वार्थम-निकप/ 240
विभिन्न क्षेत्रों में मानव सेवा के साथ-साथ पशु अगत की ओर ध्यान आकृष्ट किया परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी ने । सतना में वर्ष 1998 में संपन्न पंचकल्याणक महोत्सव की चिर स्मृति के रूप में परम पूज्य मुनि श्री समतासागर जी, श्री प्रमाणसागर जी एवं ऐलक श्री निश्चयसागर जी की प्रेरणा से 'दयोदय पशु सेवा केन्द्र' (गौशाला) की स्थापना हुई । सतना शहर से लगभग 5 कि0 मी0 दूर सतना नदी के किनारे सुरम्य, प्राकृतिक वातावरण में जमीन खरीदकर गौशाला प्रारम्भ हुई है। वर्तमान में लगभग 100 गायें एवं बैल यहाँ संरक्षण प्राप्त कर रहे हैं।
लगभग 350 परिवारों वाली सतना जैन समाज में आपस में अत्यन्त घनिष्ठ प्रेम और वात्सल्य है । समाज में तीव्र धर्मानुराग और श्रुतभक्ति की भावना है। प्रायः हर दूसरे-तीसरे दिन श्री शान्तिनाथ विधान या अन्य विधान होते रहते है। छोटे-छोटे बच्चों में भी जिनेन्द्र पूजन के प्रति उत्साह देखने को मिलता है। प्राय: बुजुर्ग लोग अपने पुत्र-पौत्रों को साथ में लेकर पूजा करते दिखाई पड़ते हैं। छोटे बच्चों के लिये संस्कार शिविर और पूजन प्रशिक्षण शिविर हुआ करते हैं। प्रात:काल में स्वाध्याय की दो कक्षाएँ चलती हैं। रात्रि में महिलाओं और पुरुषों द्वारा पृथक-पृथक् शास्त्र सभा होती ही
यवक-युवतियों, पुरुषों और महिलाओं के पृथक-पृथक सगठन हैं, जैन क्लब, जैन महिला क्लब, जैन नवयुवक मण्डल एवं जैन बालिका क्लब के माध्यम से सामाजिक, सांस्कतिक व धार्मिक गतिविधियों का क्रियान्वयन होता है। जैन क्लब सतना की पहल पर एक क्षेत्रीय संगठन का निर्माण 17 सितम्बर 1981 को किया गया था। जैन क्लब परिसघ' के
ठन से टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना, सतना, रीवा, सीधी और शहढोल जिलों के 57 सेवाभावी संगठन जुडे थे। संस्थापक अध्यक्ष के रूप में सिं. जयकुमार जैन अमरपाटन के साथ मुझे संस्थापक महामत्री होने का गौरव प्राप्त हुआ । मन्दिर जी में एक सुन्दर व समृद्ध ग्रन्थ भंडार है, जिसमें विभिन्न विषयों के लगभग एक हजार ग्रन्थ संग्रहीत हैं। हस्तलिखित, प्राचीन ग्रन्थ भी अनेक हैं। वर्तमान में इस ग्रन्थ भंडार को सुन्दर ढंग से सूचीबद्ध किया जा रहा है।
राजेन्द्र जैन, सयोजक, मन्दिर विभाग, (मे. गृहशोभा, सतना)