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124 / स्वार्थसूत्र-निकव
तत्त्वार्थसूत्र एवं भारतीय दण्डविधान : एक विवेचन
तत्वार्थ सूत्र
1. तस्वार्थसूत्र आचार्य उमास्वामी द्वारा रचित ईसा की दूसरी शताब्दी की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है जिसे जैनधर्म और दर्शन का सार माना जाता है।
2. तत्त्वार्थसूत्र में 357 सूत्र हैं ।
3. तत्त्वार्थसूत्र में कोई संशोधन करके न तो उनके पुराने सूत्रों को बदला गया है और न नये सूत्रों को जोड़ा गया है।
4. तस्वार्थसूत्र तीनों लोकों के तीनों कालों में छह द्रव्यों और सात तत्त्वों का शाश्वत विवेचन करता है।
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● फिरोजाबाद
अनूपचन्द जैन एडवोकेट
भारतीय दण्ड विधान
1. भारतीय दण्डविधान की परिकल्पना लॉर्ड मैकाले ने की थी और इसमें भूल भावना शारीरिक एवं सम्पत्ति सम्बन्धी अपराधों का किस प्रकार नियन्त्रण किया जाये यही थी। इसका प्रथम आलेख 04 सदस्यीय विधि कमिश्नर्स जिनमे लॉर्ड मैकाले मुख्य थे ने तैयार करके 11 अक्टूबर 1837 को गवर्नर जनरल के समक्ष प्रस्तुत किया और उसके बाद 26 अप्रैल 1845 को उस आलेख में कुछ संशोधनों की सिफारिश गवर्नर जनरल के द्वारा की गई और अन्तत: 06 अक्टूबर 1860 को यह अमल मे आया।
2. भारतीय दण्डविधान में 511/530 धारायें हैं ।
3. भारतीय दण्डविधान में 511 धारायें थी परन्तु समय
समय पर आवश्यकतानुसार उनमें 19 धारायें और जोड़ी गई हैं और इस प्रकार भारतीय दण्डविधान में अब लगभग 530 धारायें हैं ।
4. भारतीय दण्डविधान सम्पूर्ण भारतवर्ष में भी लागू नहीं होता बल्कि इसकी धारा के अनुसार इसका विस्तार जम्मूकश्मीर को छोडकर सम्पूर्ण भारतवर्ष रखा गया है ।
is. तत्वार्थसूत्र द्रव्यों एवं तत्त्वों की विभिन्न अवस्थाओं का 5. भारतीय दण्डविधान एक व्यवस्था है जिसमें अपराध ज्ञान कराता है। करने का दण्ड दिया गया है।
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