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दुष्टार-कमन्वन-पुष्ट-जाल-मंधपने भानुर-धमकेतृन् । धूपैपितान्य-गुगन्ध-गन्धजिनेन्द्र-निद्धान्न-यतीन् यजेऽहम्॥१॥ पाय मुगध को कार्य सांग ।
मन प जिगर को, अष्ट पमं भय होय It सय प्रम पायन पान पर पीर ।
पाहिले, जिभपन पनि गम्भीर।। in Hदा नपानानि FICTI चम्पविलम्पन्मनमाणगापा मादि-बादाम्मलित-प्रमावान। पना मांस-पन्नाभिनाराजगन्न मिद्धान्त-बनीन बजेहम्॥१२॥ सो मी परनी पर, मोगमा ले।
पूना नाराापी, निम्पर शिव पल देव ।। पलट जाने पर ये पल ये पल नाय ।
महानोर पलम रियो, तानं पज़, पांच ॥ की मांग नाम पर नपानाति स्वास। सहारिनगन्धाचन-पुष्पजानन वेप-दीपामन-प-पत्रः । फल विनियन-पुण्य-योगासिनन्द्र-सिद्धान्त यतीन यजेहम्।।१३॥ उलधारा पदन पमों, अक्षत पुष्प नेपेदा ।
दोप थप फल अर्प युरा, ये पूजा यमु भेव । ये गिन पजा नष्ट विधि, कीजे पर शुचि अज।
प्रमि पासधार मो, दीजे धार अभग ॥ हो गयपान अब नियंपानानि च । ये पूजा जिननाय-शास्त्र-पमिना भन्या मटा कुर्वते अंमध्यं मुविचित्र-कान्य-रचनामुगारयन्तो नराः ।