SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 200
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - श्री भक्तामर स्तोत्र पूजा ॐ जय जय जय । नमोऽस्तु नमोऽस्तु नमोऽस्तु ॥ अनुष्टुप् । परमज्ञान वाणासि, घाति - कर्म प्रघातिनम् | महा धर्म प्रकर्त्तारं वन्देऽहमादि नायकम् ॥ " भक्तामर महास्तोत्रं मन्त्रपूजां करोम्यहम् | सर्वजीव - हितागारं, आदिदेवं नमाम्यहम् ॥ ॐ ह्रीं श्री आदिदेव ! अत्र अवतर अवतर सर्वोौषट् आह्वानन । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ ठ स्थापन । ॐ ह्रीं श्री आदिदेव ! ॐ ह्रीं श्री आदिदेव ! अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधापण 1 अथाष्टकं । सुरसुरी नदसंभृत जीवनैः सकल ताप हरैः सुख कारणैः । वृषभनाथ वृषांक समन्वितं शिवकरं प्रयजे हत किल्विषं ॥ ॐ ह्रीं श्री वृषभनाथ जिनेन्द्राय जन्ममृत्युविनाशनाय जल निर्वपामीति स्वाहा ॥ १ ॥ मलय चन्दन मिश्रित कुंकुमैः सुरभितागत षट्पद नंदनैः । वृ० ॐ ह्रीं श्री वृषभनाथ जिनेन्द्राय ससारतापविनाशनाय चन्दन निर्वपामीति स्वाहा ॥ २ ॥ कमल जाति समुद्भवतन्दुलैः परम पावन पञ्च सुपुञ्जकैः । वृ० ॐ ह्रीं श्री वृषभनाथ जिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ॥ ३ ॥ जलज चंपक जाति सुमालती, वकुलपाड़लकंद सुपुष्पकैः । वृ० ॐ ह्रीं श्री वृषभनाथ जिनेन्द्राय कामवाणविध्वसनाय पुष्प निर्वपामीति स्वाहा ॥ ४ ॥ , वटक खज्जक मंडुक पायसै विविध मोदकव्यञ्जनषट्रसैः । वृ० ॐ ह्रीं श्री वृषभनाथ जिनेन्द्राय क्षुधारोग विनाशनाय नैवेद्य निर्वपामीति स्वाहा ॥ ५ ॥
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy