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________________ 1 १८२ जैन पूजा पाठ सप्रह कलश को जल से धोकर सुपारी, मूग, हल्दी की गाठ धनिया के दाने नवरत्न अक्षत, पुष्प आदि डाल कर जल से कपड़े से मौली द्वारा वेष्ठित नारियल को कलश के परिपूरित कर, लाल मुख पर रखे पश्चात ॐ अद्य भगवतो महापुरुषस्य श्री मदादि व्रह्मणो मतेऽस्मिन् नूतन वसना मङ्गल कर्मणि होम मण्डप भूमि शुद्धयर्थं पात्र शुद्धयर्थं क्रिया शुद्धद्ध्यर्थं शान्त्यर्थं पुण्याहवाचनार्थं नवरत्नगन्धपुष्पाक्षतादि बीज फल सहित शुद्ध प्रासुक तीर्थ जल पूरितं मङ्गल कलश संस्थापन करोम्यह । भवीक्षवी ह स स्वाहा । श्रीमजिनेन्द्र चरणारविन्देष्वानन्द भक्ति सदास्तु । मन्त्रोच्चारण करके शास्त्रजी की चौकी पर चावलों के बनाये साथिये 5 पर मङ्गल कलश स्थापन करे I साधारण नित्य नियम पूजा करके श्री महावीर स्वामी की और पूजा मे फल चढाने के बाद शाखजी के पूजा के पश्चात् कर्पूर प्रज्वलित कर श्रद्धापूर्वक खड़े होकर सब ललित-ध्वनि से नीचे लिखी आरती बोलें । सरस्वती की पूजा करें - सरस्वती लिये शुद्ध वस्त्र या वेस्टन चढावें ।
SR No.010139
Book TitleSanatkumar Chavda Punyasmruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages664
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size21 MB
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