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नेन पूजा पाठ मह
श्री चन्द्रप्रभु पूजा
चारित चंद्र चतुष्टय मंडित चारि प्रचंड अरी चकचूरे । चन्द्र विराजित चर्णविषै यह चंद्रप्रभा सम है अनुपूर । चारु चरित चकोरनके चित चोरन चंद्रकला बहु सूरे । सो प्रभुचंद्र समंतगुरुचित चिंतत ही सुख होय हुजूरे ॥
ॐ ही श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्र ! अत्र अवतर अवतर सवौपट
ॐ ही श्रीचन्द्रप्रभजिनेद्र । अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठ ठ |
ॐ ही श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्र । अत्र मम मन्निहितो भव भव वाट् ।
पद्म द्रह सम उज्जल जल ले शीतलता अधिकाई । जन्म जरा दुःख दूर करनको जिनवर पूज रचाई ॥ चञ्चल चितको रोकि चतुर्गति चक्रभ्रमण निवारो । चारु चरण आचरण चतुर नर चंद्रप्रभू चित धारो ॥
ॐ ही श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय जन्मजरामृत्युविनाशनाय जल निर्वपामीति स्वाहा ॥ १ ॥
मलिया - गिरवर बावन चंदन केशरि संग घसाओ । भव आताप निवारन कारण श्रीजिन चरणचढ़ाओ ॥ चं०
ॐ ही श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय भवातापविनाशनाय चन्दन निर्वपामीति स्वाहा ॥ २ ॥
चन्द्र किरण सम श्वेत मनोहर खंड विवर्जित सोहै । ऐसे अक्षतसों प्रभु पूजौं जग जीवन मन मोहै ॥ चं०
ॐ ह्रीं श्रीचन्द्रप्रभजिनेन्द्राय अक्षयपदप्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा ॥ ३ ॥