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________________ ( 8 ) प्रसन्नताको बात है कि इसकी विस्तृत भूमिका समाजके मान्य मनीषी श्रीमान पं० ब्र० जगन्मोहनलाल जी सिद्धान्तशास्त्री ने लिखकर ट्रस्टको अनुगृहीत किया है। इसमे पण्डितजी ने एक ऐसी बात लिखो है, जो समाजके लिए ध्यातव्य है । उन्होंने लिखा है कि "अनेक मुनिसाघु कूलर, हीटर, पालकी, वाहन आदिका भी उपयोग करने लगे हैं जो सर्वदा विपरोत है। इसका अन्त कहाँ होगा, यह चिन्तनीय हूँ ।" आगे लिखा है कि " साधुओ व आर्यिकाओको बिना पादत्राणके पैदल हो विहार करनेकी आज्ञा है, ईर्यासमितिका पालन करते हुए, परन्तु पालकोका उपयोग करने वालेकी ईर्यासमिति कैसे सधेगी ?" यह वास्तव में मुनि संघोमें बढ़ रहे शिथिलाचारपर उनके द्वारा प्रकटको गयो गम्भीर चिन्ता है । समाजको तत्काल इस दिशामे उचित कदम उठाना चाहिए । अन्यथा यह विष-बेला बढ़ती हो जावेगी । पण्डितजीको यह भूमिका पठनीय एवं मननीय है । डॉ० पन्नालालजी एक साधक की भांति निरन्तर सरस्वती को साधना में सलग्न हैं । इस सुन्दर कृतिको प्रस्तुत करनेके लिए हम उन्हे धन्यवाद देते हुए उनके दीर्घायु की मंगल कामना करते हैं । आदरणीय पं० जगन्मोहन लालजी शास्त्रीके भी कृतज्ञ हैं, जिन्होंने इस ग्रन्थकी विचार -पूर्ण भूमिका लिखी । ट्रस्टके सभी सदस्यो, पाठको और सहयोगियोको भी धन्यवाद है । बोता ( म०प्र०) १५-१०-१६८८ बिनम्र ( डॉ० ) दरबारीलाल कोठिया मानद मन्त्री
SR No.010138
Book TitleSamyak Charitra Chintamani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain
PublisherVeer Seva Mandir Trust
Publication Year1988
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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