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(२७) सीता जी का बारह मासा-ले० यती नैन सुखदास, अनु० ब० प्र० मा. बिहारी लाल बुलन्द शहर, पृ० ३२, व० १८६० ।
सुख कहाँ-ले० ला जोतीप्रशाद जैनी, प्र० मुसद्दीलाल बाबूराम शामली, पृ०८, ३० १९२३ ।
सुख कहाँ-ले० ला० जोतीप्रशाद जैनी, प्र. जैन मित्र मण्डल देहली, १० कव० १९२४, प्रा० अब्बल।
सुबह सादिक अलमारूफ अनवारे इक्कीकत-ले. फकीर माइल, प्र. बा० महाबीर प्रशाद डाक वाले देहली, पृ० ४०।।
सूखा हुआ चमन कैसे हरा हो सकता है यानि हम और हमारा फर्जमे० नत्यूराम जैनी, प्र० प्रात्मानन्द जैन ट्रैक्ट सोसाइटी अम्बाला शहर, पृ. ४०, ५० १९२१ ।
हकीकते दुनिया (नपम)--लेखक बा. भोलानाथ दरखशा, प्र० जेन मित्र मण्डल देहली, पृ० १६, व० १९२७, मा० अब्बल ।
हकीकत माबूद (नाम)-ले० बा. भोलानाथ दरखा, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० १६, २० १९२८ ।
हनुमान चरित्र (हिस्सा अव्वल)-ले० व प्र० मा० बिहारी लाल बुलन्दपाहरी, पृ० १४८।
हनुमान चरित्र (हिस्सा दोयम)-ले. व प्र० मा० बिहारीलाल बुलन्दपाहरी, पृ० १०२।
हनुमान चरित्र (हिस्सा सोयम)-ले० व प्र० मा० बिहारीलाल बुलन्दपहरी, पृ० ६२, व० १९०३; प्रा० अब्वल ।
हमदर्दे मुल्क-ले. दिगम्बर दास जैन, प्र० खुद, पृ० ८०, ३० १९२६ ।
हमारा रूहानी रहबर यानि जैन तीर्थकर श्री महावीर स्वामी का मुख्तसिर पोवन चरित्र--ले० दीवानचन्द पोसवाल, प्र० जैन ट्रक्ट सोसाइटी लाहोर, पृ० ३२, २० १९१७॥
हयाते बीर ( नाम )-ले० दबीरे कोम ला. भोलानाथ मुख्तार,