SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 290
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( २६६ ) प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० ८ ० १६२५ । कर्म आब बन्धन --ले० बा० ०२, ० अब्बल | सुल्तान सिंह जैन वकीन, प्र० खुद्र मेरठ, कलामे पंका-ले०ला० भुन्नुलाल लाल साहब, प्र० जनमित्र मंडल देहली, ० ८, व० ४६२५ 1 क्वल ज्ञान-ले० हुकम चन्द जैनी, प्र० श्री प्रात्मानद जैन ट्रॅक्ट सोसाइटी अम्बाला, पृ० ३८ व १६१८ । खाने लताफ (अमितगति श्राचार्य के सामायिक पाठ का तर्जुमा) - ले० बा० भोलानाथ मुख्तार दरखशा, प्र० जै- मित्र मंडल देहली, पृ० २४, ० १६२८ ( मनजूम ) खुलामा मजाहब -- ले० बा० सुमेर चंद जैनी, पृ० २४, ब० १९२० । निरमते नल्क-ले० रा० ब० पारस दाम देहली । ० शीतलदास जैन बी० एम०, प्र० खुद पानीपत, पृ० ३७६, व० १९२४-१६२५ । ग्यारह पति हि सा अब्बल ग्यारह पति हिस्मा दो म ग्यारह पति हिम्सा सोयम ज्ञान गुलशन बहार उर्फ आत्महित र ने० फकीरचन्द जैन देहली, प्र० खुद पृ० ३०, व० १५२१ । ज्ञान सूज उदे (दो हिस्से ) - ले० बा० सूरजभान वकील: प्र० जैन मित्र मंडल दहली, पृ० ६४, ब० १०२५, आ० अब्बल | गाय को फरयाद - प्र० जीव दया विभाग जैन महामंडल लखनऊ; व० १९१५ । गुल तखयल या रूवाईयात दरवशाँ ( मान तुग कृत भक्तापक स्तोत्र का तरजुमा ) - ० बा० भोलानाथ दरखशॉ, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, पृ० १६ ० १२५, आ० दोयम । गुलजारी रूहानी - - सपा० मा० विशम्भरदास, प्र० कपूरचन्द हिसार, ९० ६४, व० १६२६ ।
SR No.010137
Book TitlePrakashit Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
PublisherJain Mitra Mandal
Publication Year1958
Total Pages347
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy