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बानकर प्रसन्नता होती है कि वीर सेवा मंदिर दिल्ली की ओर से लगभग ६००० अप्रकाशित ग्रन्थों की एक सूची तैयार कराई गई है। राजस्थान के मंगरों की छान बीन श्री कस्तूरचन्द्र कासलीवाल और श्री अगरचन्द नाहटा बराबर आगे बढ़ा रहे हैं। प्राशा है अगले बीस वर्षों में भंडारों के पर्यवेक्षण का कार्य पूरा कर लिया जायगा । और तदनुसार प्रकाशन की शक्तिशाली पोषनाए भी राष्ट्र में बन जाएगी।
इस पुस्तक में प्रकाशित जैन साहित्य की एक प्रकारादि क्रम से नाम सूची संग्रहीत की गई है। इसमे लगभग २७०० पुस्तको का संक्षिप्त परिचय दिया है ! तैयार यादी की भाति यह सूची पाठकों के लिये उपयोगी रहेगी। बो ग्रंथ इस सूची मे छूट गए हों उनके नाम भी पपनी जानकारी के अनुसार मोड़ लिए जा सकते हैं। श्री पन्नालाल जी का यह उत्साहमय प्रयत्न बहुत
काशी विश्वविद्यालय फाल्गुन शुक्ल १२, स. २०१४
वासुदेवशरण अग्रवाल