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( ३४ ) ४-मेतार्य की दीक्षा . ५-प्रभास की शङ्का ६-प्रभास की दीक्षा ७-केवल ज्ञान-प्रभाव ८-राजगृह की ओर गमन ६-वनपाल का विस्मय १०-श्रेणिक को सूचना ११---वन्दनार्थ-प्रस्थान १२–वीर के प्रति विनय १३-अष्ट प्रतिहार्य १४-धर्मोपदेश १५-अात्मा की अविनश्वरता
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इक्कीसवाँ सर्ग
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१-नर पर्याय के कष्ट २-जीव की भ्रान्ति ३-आत्म बल ४~-अहिंसा सामर्थ्य ५--मोक्ष-सौख्य की महत्ता ६-नर भव की दुलभता ७-तेरहवाँ चतुर्मास ८--उपदेश-प्रभाव ६--राजगृह से प्रस्थान १०-चौदहवाँ चतुर्मास ११- कौशाम्बी में प्रभावना १२--पन्द्रहवाँ चतुर्मास
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