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समर्पण
करुण, धर्मवीर एवं शान्तरस प्रधान
यह महाकाव्य समर्पित
उन्हें जो किसी भी दुखी को देख करुणा से द्रवीभूत हो उठते हैं, जो मानव-धर्म पालने में ही जीवन की सार्थकता अनुभव
करते हैं,
___ और जो केवल व्यक्तिगत हो नहीं समाष्टिगत शान्ति के लिये
भी प्रयत्नशील रहते हैं।