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च ओर बिखेरे गये चने,
चुगने को विविध विहंगों को । सुस्वादु खाद्य सामाग्री भी, भिजवायी गयी कुरङ्गों को ||
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नर से बढ़कर भी वानर दलको दिये गये फल केल्वे थे । वे भी इतने जितने वे, खा सकते नहीं अकेले थं ॥
'खाजा' 'खाजा' कह श्वानों को
भी गये खिलाये खाजा थे ।
चिटियों को
राजा थे ॥
निज सम्मुख चींटों चीनी चंद्रवाते
परम ज्योति महावीर
थं गये सिचाये वृक्ष, लता
शीतल जल भर भर गगरी में ।
नर से तरु तक कोई न
रहा,
भूखा प्यासा उस नगरी
प्रभावों को,
जनता के सभी नृप ने यो प्रथम भगाया था । फिर अन्य महोत्सव करने में,
अपना शुभ ध्यान लगाया था ||
में ॥