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________________ फुट नोट 1. नवनामा पद्मावत्यां कांतिपुर्या मधुरायां विष्णुपुराण अंश 4 अ. 24 1 2. देखो, राजपूताने का इतिहास, प्रथम जिल्द, पहला संस्करण पृ. 230 । 3. मध्य भारत का इतिहास- डा. हरिहर निवास द्विवेदी । 4. देखो -अनेकान्त वर्ष 3 किरण 7 | 5. सात खांप परवार कहावे, तिनके तुमको नाम सुनावें । अठ सक्खा पुनि है चौसखा, ते सक्खा पुनि है दो सक्खा । सोरठिया अरु गांगन जानो, पडावतिया सदृम जानो। -बुद्धि विलास । 6. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास - भाग 2 - परमानन्द शास्त्री - पृष्ठ 460 7. श्री अहिच्छत्र पार्श्वनाथ स्मारिका पृ. 48 8. अहिछत्र की पुरा सम्पदा - डा. रमेशचन्द जैन पृ. 81-82 9. यह स्थान पुरातत्व के महत्व का है। भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने खुदाई करके एक विशाल नगरी का पता लगाया है। यहां के कुछ सिक्के भी मिले हैं तथा लिपि अपठनीय है। कुछ महत्व के मिट्टी के बर्तनों के टुकड़े प्राप्त हुए हैं। 10. तीर्थंकर महावीर स्मृति ग्रन्थ- प्रकाशक जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर - लेख 'गौपाद्रौ देवपत्ने' -डा. हरिहर निवास द्विवेदी 11. जैनधर्म का प्राचीन इतिहास द्वितीय भाग- सम्पादक व लेखक परमानन्द शास्त्री - भूतपूर्व सम्पादक अनेकान्त- प्रकाशक रमेशचन्द जैन मोटर वाले, दिल्ली- पृ. 115 12. जैन धर्म का प्राचीन इतिहास द्वितीय भाग-लेखक व सम्पादक पं. परमानन्द शास्त्री - प्रकाशक - रमेशचन्द मोटर वाले पृ. 440 13. सुनहरीलाल अभिनन्दन ग्रन्थ, 2. श्री महावीर कीर्ति स्मृति ग्रन्थ एवं भगवान महावीर और उनकी आचार्य परम्परा खण्ड 4 से । 14. 1. सुनहरी लाल अभिनन्दन ग्रन्थ, 2. श्री आचार्य सुधर्मसागर पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 411
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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