________________
महत्वपूर्ण है, हमारा साहित्य जिसमें हमारे सांस्कृतिक एवं सामाजिक इतिहास के पृष्ठ अंकित हैं।
प्रत्येक समाज और संस्कृति का एक पुरातन इतिहास होता है, उसकी, परम्परा होती है जिसका आंकलन करना आवश्यक होता है। विशेष रूप से उस समय जब नैतिक मानदण्ड तहस-नहस होने लगे हों, सांस्कृतिक संकट उपस्थित होने को मचल रहे हों, भीतर उथल-पुथल मची हो, मानदण्ड की परिभाषा बदलने लगी हो । पुनर्जागरण का सूत्रपात करने और सामुदायिक चेतना को जागृत करने के उद्देश्य से सांस्कृतिक परम्पराओं की समुचित जानकारी होना एक कर्तव्य भी है। यह जानकारी इतिहास के माध्यम से होती है।
"जिस प्रकार किसी व्यक्ति विशेष की मान-मर्यादा के लिए उसका पूर्व वृतान्त जानना आवश्यक है, उसी प्रकार किसी देश व समाज को वर्तमान संसार में सम्मान प्राप्त करने के लिए अपना इतिहास उपस्थित करने की आवश्यकता होती है । इतिहास साहित्य का महत्वपूर्ण अंग है, देश व जाति का जीवन रस है । जिस साहित्य में इतिहास नहीं, वह साहित्य
पूर्ण है। जो जाति अपना इतिहास नहीं जानती, उसके जीवन में चैतन्य, स्फूर्ति, स्वाभिमान और आशा का अभाव सा रहेगा। जब तक हम अपनी सभ्यता और शिष्टता के विकास-क्रम से अनभिज्ञ हैं, तब तक हम उसके वास्तविक उन्नति नहीं कर सकते। इसलिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि अपने साहित्य में इतिहास के अंग को खूब पुष्ट करें और तत्संबंधी त्रुटियों और प्रचलित भ्रमात्मक धारणाओं को दूर करने की ओर सदैव ध्यान देते रहें। (डा. हीरालाल जैन)
व्यक्ति से परिवार, परिवार से समाज, समाज से देश अथवा राष्ट्र का निर्माण होता है। देश या राष्ट्र के निर्माण में समाज के लोग ही उसका मुख्य आधार स्तम्भ होते हैं । इस दृष्टि से किसी राष्ट्र के इतिहास के पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
11