________________
उस समय त्रिलोकचंद जैन माई स्कूल में अध्यापक थे, स्व. बाबूजी के स्थान पर संस्थाओं में नियुक्त हुए। ...
बाबू जयकुमार के छोटे भाई श्री रामकुमार जैन रेलवे सर्विस से अवकाश प्राप्त कर स्थाई रूप से इन्दौर में ही रहने लगे।
श्री देवेन्द्रकुमार जैन स्वर्गीय पं. खूबचन्द शास्त्री की सुपुत्री के साथ विवाह होने के बाद सन् 1945 के लगभग इन्दौर में आ गये थे। शुरू में अपना निजी व्यापार किया, बाद में पारमार्थिक संस्थाओं में सर्विस कर ली, जिसका उन्होंने सुचारू रूप से निबाह किया।
पं. लालबहादुर शास्त्री को सन् 1950 के लगभग जैन सिद्धान्त के अध्यन और शास्त्र प्रवचन के लिए सर सेठ हुकुमचन्द ने नियुक्त किया। तत्पश्चात् लगभग 3 वर्ष दिल्ली में संस्कृत विद्यालय के प्रधान के स्थान पर काम कर पुनः इन्दौर में पारमार्थिक संस्थाओं के उपमंत्री नियुक्त हुए।
पं. जी का एक लड़का यहां एक स्थानीय बैंक में है। इस प्रकार और भी कुछ सज्जन हैं जो निजी व्यापार या बैंक और मिलों में सर्विस करते
इन्दौर में परिवार-संख्या लगभग 100 और जन-संख्या 400 के आस-पास है।
श्री हेमचन्द जैन (मरथरा एटा वाले) वर्तमान में अध्यक्ष और श्री वीर कुमार जी (फिरोजाबाद) संघ के मंत्री है। संघ को संगठित करने के लिए सभी इन्दौर निवासियों के नाम पते एवं फोन नम्बर वाली एक डायरेक्ट्री तैयार हो सके तो सम्पर्क सूत्र सहजता से स्थापित किए जा सकते हैं। वैसे इस दिशा में इनके कुछ प्रयास चल रहे हैं। इससे समाज को संगठित करने में सहायता मिलेगी। यह प्रशंसनीय कार्य होगा।
297
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास