________________
स्व. श्री प्रेमसागर जैन . एटा जिले के मरथरा जनपद के जमींदार श्री हरमुखराय जैन 'सिरमोर' परिवार के ज्येष्ठ पुत्र श्री प्रेमसागर जी 1944 में शिक्षा ग्रहण करने के लिए दिल्ली आये। शिक्षा प्राप्त करने के बाद गांधीवादी प्रकाशन संस्था 'सस्ता साहित्य मंडल' में हिन्दी टाइपिस्ट के रूप में कार्य करने लगे। यहां हिन्दी के अनेक वरिष्ठ लेखकों, कवियों और राजनेताओं से उनका सम्पर्क हुआ। इन लोगों की प्रेरणा पर उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से बी.ए. की परीक्षा उत्तीर्ण कर राज्य सभा में सेवारत हो गये। बाद में उन्होंने अपने छोटे भाई श्री सतीश जैन और श्री प्रताप जैन को भी दिल्ली बुला लिया। इसके कुछ वर्षों बाद पूरा परिवार ही दिल्ली आ गया। श्री राहुल जैन इनके इकलौते पुत्र हैं। बवासीर का उपचार कराने के लिए नर्सिंग होम में दाखिल हुए। अगले दिन सुबह श्री प्रेमसागर जी का वहीं पर हृदय गति रुक जाने से स्वर्गवास हो गया।
श्री प्रेमसागर जी सरल स्वभावी, मिलनसार, दूसरों के काम आने वाले व्यक्ति थे। पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत के कार्य को नियमित
और व्यवस्थित कराने में उनका बड़ा योगदान रहा है। लाला पातीराम जी, श्री नेमीचन्द जी रेलवे वाले, श्री हरी चन्द विस्तागी दिल्ली, चौधरी हुकमचन्द जी और महावीर प्रसाद जी रोगन वालों के वे परम मित्र थे।
बुद्धिमानी जब कोई दूसरा क्रोध करे तो स्वयं शान्त बने रहो। किसी के गन्दे वस्त्रों को देखकर कोई अपने स्वच्छ वस्त्रों पर धूल नहीं डालता।
दूसरा जब हमारी ओर अंगारे फेंके तो उसके सामने से हट जाने में ही बुद्धिमानी है।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
-
-
-
257