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1941-42 में दिल्ली आये और श्री भोलानाथजी के पास कूचा सेठ में रहे। बाद में उनकी बैंक में सर्विस लग गई और कूचा लटू शाह में रहने लगे। श्री चन्द्रसेन सरल स्वभावी और विनम्र थे। बच्चों की उच्च शिक्षा पर उनका ध्यान केन्द्रित था। 1978 में बैंक से सेवा निवृत्त हुए और 1985 में उनका स्वर्गवास हो गया। बच्चों की शिक्षा पर उनका ध्यान केन्द्रित था।। सर्वश्री प्रदीप कुमार, प्रभात कुमार और प्रसन्नकुमार उनके पुत्र हैं। पूरा परिवार शिक्षित है।
मास्टर श्री चन्द्रपाल जैन पुनहरे के श्री चन्द्रसेन जैन के छोटे भाई श्री चन्द्रपाल जी ने दिल्ली आकर 1942 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., बी.एड. और बाद में हिमाचल से एम.ए. इंगलिश में पास किया। 1953 में हीरालाल जैन हा. सै. स्कूल से अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ की। 1992 में सेवा निवृत होने से पूर्व कई स्कूलों में उन्होंने अध्यापन का काम किया। सर्वश्री सुशीलकुमार
और श्री सुधीर कुमार आपके दो पुत्र हैं। __ श्री चन्द्रपाल जी की धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में रुझान है। वे खरे स्वभाव के हैं। पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत की कार्यकारिणी के सदस्य, उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे हैं। विषम परिस्थितियों में चुनाव अधिकारी की सराहनीय भूमिका का निर्वाह करते हैं।
स्व. श्री लक्ष्मीचन्द जैन, तिमारपुर एटा जिले के मरथरा जनपद के जमींदार परिवार के श्री लक्ष्मीचन्द जी पुत्र श्री हजारीलाल जी पं. बनवारीलाल स्याद्वादी की प्रेरणा पर 1930 के
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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