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तीन पुत्र सर्वश्री हीरालाल, विनोदकुमार और सुबोध कुमार है। तीनों का व्यापार ठीक है। पिछले 7-8 वर्ष से हीरालालजी सामाजिक और धार्मिक कार्यों में गहरी रुचि ले रहे हैं। श्री सुबोधकुमार जी भी इस ओर सक्रिय होने का प्रयास कर रहे हैं। श्री राजकुमारजी गोवा चले गये। वहीं व्यापार किया। 2002 में उनका स्वर्गवास हो गया।
श्री श्रीलालजी 'बिटाब्रेन' नामक चूर्ण की गोलियां और कई अनेक वस्तुओं के उत्पादनकर्ता और व्यापारी रहे। वे मिलनसार और धर्मनिष्ठ थे। पद्मावती पुरवाल पंचायत के प्रारम्भ से ही जुड़ गये। परिणामस्वरूप पंचायत के अनेक पदों पर रहकर उन्होंने समाज की सेवा की। इनके नाम से ही पूरे परिवार की पहचान थी। काफी समय पूर्व वे स्वर्गवासी हो गए। सर्वश्री सुरेन्द्रकुमार, वीरेन्द्र कुमार, जिनेन्द्र कुमार और ब्रिजमोहन इनके पुत्र हैं। श्री जिनेन्द्र कुमार का भी 1999 में हृदय गति रुकने से स्वर्गवास हो गया। उनका एक पुत्र है। श्री श्रीलाल जी बिटाब्रेन के स्वर्गवास के बाद परिवार ठहर-सा गया। अब श्री बृजमोहन उनके सबसे छोटे पुत्र सक्रिय हुए है। वर्तमान में वह पंचायत की कार्यकारिणी का सदस्य भी है।
श्री जयकुमार जी प्राइवेट दुकान पर नौकरी करते थे। वे भी धार्मिक और सामाजिक प्रवृत्ति के थे। सर्व श्री विजयकुमार, मदनलाल और विनोदकुमार उनके तीन पुत्र हैं। तीनों पुत्रों का रेडीमेड गारमेंट्स और हॉजरी का गांधीनगर में काम है। धार्मिक आयोजनों में भाग लेते और सहयोग देते हैं।
श्री ओम प्रकाशजी भी प्राइवेट दुकान पर काम करते थे। 1984 में उनका स्वर्गवास हो गया। सर्वश्री ज्ञानचन्द, दिलीपकुमार और राजकुमार इनके पुत्र हैं। तीनों ही रेडीमेड गारमेंट्स और हॉजरी का काम गांधीनगर में करते हैं। श्री ज्ञानचन्दजी विशेष रूप से सक्रिय और मिलनसार हैं। इस पूरे परिवार में प्रसन्नता और खुशहाली है।
पप्राक्तीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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