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स्व. लाला चन्दूलाल/खेमचन्द जैन . एटा जिले के बेरनी जनपद के श्री लालाराम और श्री बंगालीमल दो भाई अपने परिवार के साथ 1926-27 में दिल्ली आये। यहां आकर चावड़ी बाजार में सर्वश्री लालाराम बंगालीमल के नाम से कागज की दुकान की। श्री लालाराम जी के पुत्र का नाम श्री बाबूराम और श्री बंगालीलाल जी के पुत्र श्री खेमचन्द और श्री रामचन्द्र थे। श्री बाबूराम जी के पुत्र का नाम श्री चन्दूलाल था।
जब यह परिवार दिल्ली आया उस समय पंचायत प्रारम्भिक स्थिति में थी। सभी भाइयों में पारिवारिक प्रेम तो था ही, साथ ही पंचायत के प्रति भी गहरा लगाव था। मंदिरजी के निर्माण और विकास में भी श्री खेमचन्द जी और श्री चन्दूलाल जी का पर्याप्त योगदान है। श्री चन्दूलाल जी हर समय कार्य करने के लिए तैयार रहते थे। श्री चन्दूलालजी पंचायत के पहले चौधरी थे। 1984 में उनका स्वर्गवास हो गया। वे फाइलें बनवाने का काम करते थे। उनके पुत्र श्री सुरेन्द्र कुमार जैन भी उसी काम को करते हैं।
श्री खेमचन्द जी के बड़े पुत्र श्री प्रेमचन्द का 1993 में और उनके पुत्र श्री संजय जैन का 1996 में निधन हो गया। श्री प्रेमचन्द जी के छोटे पुत्र का नाम अजय है। श्री खेमचंद जी बड़े सरल स्वभावी और धार्मिक प्रवृत्ति के श्रावक थे। श्री खेमचन्द जी के दूसरे पुत्र श्री सतीशचन्द जी ने अपने व्यवसाय को काफी आगे बढ़ाया। वह भी मिलनसार, विनम्र और स्पष्टवादी हैं। इनमें सेवाभाव भी है। श्री खेमचन्द के तीसरे पुत्र श्री रमेशचन्द जी है। श्री खेमचन्द जी पंचायत के विशिष्ट पदों पर रहे। 1983 में उनका स्वर्गवास हो गया।
श्री रामचन्दजी भी पंचायत से जुड़े रहे। इनके कोई पुत्र नहीं है। 1997 में इनका स्वर्गवास हो गया। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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