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पुत्र श्री वीरेन्द्रकुमार भारत सरकार के ए. जी. सी. आर. विभाग में कार्यरत थे। श्री वीरेन्द्र जी प्रभावशाली व्यक्तित्व के धनी थे। 1972 में पंचायत द्वारा प्रकाशित जनगणना डाइरेक्ट्री के सम्पादक मंडल में वे सदस्य थे । बाद में वह पंचायत के कोषाध्यक्ष भी रहे। सेवा निवृत्त के बाद 1996 में उनका स्वर्गवास हो गया। श्री आलोक जैन उनके पुत्र हैं। श्री श्रीचन्द जी के तृतीय पुत्र श्री देवेन्द्र कुमार भी धार्मिक, सामाजिक और राजनैतिक कार्यकर्ता थे। श्री देवेन्द्र कुमार बैंक में सर्विस करते थे । 1991 में उनका स्वर्गवास हो गया। उनका एक पुत्र है।
पंडित जी के तीसरे पुत्र श्री प्रेमचन्द ने धर्मपुरा में फाइल का काम किया । जीवन पर्यन्त (1995) तक वह वहीं कार्य करते रहे। उनके निधन के बाद उनके दो पुत्रों का स्वर्गवास हो गया। श्री प्रेमचन्द जी सरल स्वभावी और मिलनसार थे। वर्तमान में सुशील और दीपक आदि उनके पुत्र है ।
पूरा परिवार धार्मिक और मिलनसार है।
स्व. श्री छदामीलाल मनोहरलाल जैन
आगरा जिले के अहारन जनपद के युवक श्री छदामीलाल दिल्ली में पहले से ही रह रहे अपने एक रिश्तेदार श्री हुब्बलाल जी के पास 1905 में आये। यहां उन्होंने एक भोजनालय खोला। अच्छे भोजन के लिए ख्यातिप्राप्त करने पर उन्होंने केवल परांठे बनाने का ही काम चालू रखा। इसी बीच उन्होंने अपने छोटे भाई श्री मनोहरलाल जी को दिल्ली बुला लिया। दोनों भाइयों का विवाह यहीं हुआ। दुकान के पास उन्होंने अपना निवास रखा। परिवार धर्मिक भावनाओं से ओतप्रोत है। बच्चे संस्कारित हैं। पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर धर्मपुरा की वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव पर सौधर्म इन्द्र की बोली भी इसी परिवार ने ली थी ।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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