________________
- इसके बाद तो दिल्ली पर अधिकार के लिए संघर्ष होते रहे। और इस पर चौहान, गुलाम, खिलजी, तुगलक और मुगलवंशों ने तथा अंग्रेजों ने आठ शताब्दी तक राज्य किया। यह दिल्ली ही नहीं देश के इतिहास में अंधकारपूर्ण युग कहलाता है। जिसमें कला, साहित्य और संस्कृति का कोई उल्लेखनीय विकास नहीं हो पाया। नवसृजन की बात जाने दें, इस काल में कला और संस्कृति को भीषण क्षति पहुंची। इस काल में मंदिरों और मूर्तियों का भयंकर विनाश किया गया। विनाश के चक्र से जैन मंदिर भी न बच पाये। कला की विनाशलीला के इस काल में कितने जैन मंदिरों और मूर्तियों का विध्वंस हुआ यह जानने का प्रामाणिक साधन नहीं है।
वर्तमान में जहां चारों ओर विकास की गतिविधियां बढ़ रही हैं वहीं दिल्ली भी कला, साहित्य, संस्कृति आदि के विकास में अग्रसर है। यहां अनेक धार्मिक गतिविधियों एवं संस्कृति समारोह काफी उत्साह एवं उमंग के साथ बाहुल्यता में हो रहे हैं। यहां पर पद्मावती पुरवाल समाज के लगभग 1000 घर हैं तथा जनसंख्या लगभग 6,000 होगी।
यहां धर्मपुरा दिल्ली-6 में समाज का एक शिखरबन्द मन्दिर और धर्मशाला है। एक 3 मंजिली धर्मशाला गांधी नगर दिल्ली-31 में भी है।
कोड़ा जहानाबाद (फतेपुर) परिवार 10 जनसंख्या 100 जिनालय 1 बांदा (उ.प्र.) परिवार संख्या 5 जनसंख्या 50 जिनालय 1 कलकत्ता स्व. धन्यकुमार के पूर्वज फफोतू के रहने वाले थे। इनके बाबा शाह धनपतराम व्यापार के लिए कलकत्ता गये और वहीं उत्तरपाड़ा में बस गये।
उत्तरपाड़ा का दिगम्बर जैन मंदिर लाला धनपतराय जी ने बनवाया था। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
198