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पद्मावतीपुरवाल समाज का योगदान
(मंदिर, मूर्ति, यंत्र निर्माण एवं विकास कार्य) सम्पूर्ण मानव समाज जिससे प्रेरणा ले, जिससे कल्याण मार्ग प्रशस्त हो, ऐसा योगदान ही सच्चा योगदान है, वही वैभव है, वही विकास पथ है। वास्तव में समाज के वैभव का आकलन इसी से होता है कि उसने मानव समाज के हित के लिए प्राणी मात्र के सुख के लिए समाज के लोगों के हित के लिए किन-किन आयतनों को बनाया, निर्माण किया। यही आयतन वास्तविक योगदान व वैभव के प्रतीक हैं। मंदिर निर्माण, मूर्ति एवं वेदी प्रतिष्ठायें, यंत्र प्रतिष्ठापना, पथ निर्माण, धर्मशालायें आदि निर्माण किये गये, जिनसे धार्मिक भावना प्रस्फुटित हो, धार्मिकता के अंकुर उपजे-पल्लवित हों, धर्म का प्रचार-प्रसार हो एवं स्थायित्व मिले। साथ ही समाज को प्रेरणा भी मिले और वह ऐसे कार्यों की ओर अग्रसर होवे। 1. पार्श्वप्रभु बड़ा मंदिर नागपुर में 'सम्यग्दर्शन यंत्र'
"शके 1601 फाल्गुन सुदी 11 श्रीमूलसंधे बलात्कारगणे भ. श्री पग्रमकीर्ति सदुपदेशात् श्रीपद्मावती पल्लीवाल ज्ञातौ अडनाव कुस्तानी पानसी मार्या मंगनाई..." (भट्टारक सम्प्रदाय लेखांक 207)
विशालकीर्ति के दूसरे शिष्य पद्मकीर्ति हुए। आपने यह सम्यग्दर्शन यंत्र स्थापित किया। (नोट-पद्मावती पल्लीवाल नाम से कोई जाति नहीं है।) फतेपुर-अनेकान्त 11 पृ. 408 एवं भट्टारकं सम्प्रदाय लेखांक 595
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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