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________________ आगरा से पास की। हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग की मध्यमा परीक्षा उत्तीर्ण कर 'विशारद' की उपाधि तथा दि. जैन परिषद् परीक्षा बोर्ड, दिल्ली खारा संचालित ए.जे.पी.एच. (ऐसोशियेट ऑफ जैन फिलॉसफी) की डिग्री प्राप्त की। लखनऊ के लिटरैसी हाऊस स्थित स्कूल ऑफ सोशल राइटिंग एण्ड मास कम्यूनिकेशन से आपने नवसाक्षरों के लिये साहित्य लेखन और पत्रकारिता का प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। '1959 में कुछ माह तक प्रदेश शासन के जेल विभाग में सहायक जेलर, सेंट्रल जेल, बरेली के पद पर कार्य किया किन्तु कार्यक्षेत्र रुचि के अनुकूल न होने के कारण पद त्याग कर पुनः अध्यापन कार्य में प्रवृत हो गए। जीविकोपार्जन शुरू होने के साथ ही अठारह वर्ष की आयु में 7 जुलाई 1951 को एटा जैन समाज में 'चमकरी वालों के नाम से प्रसिद्ध परिवार के लाला गुरुदयाल जैन की सुपुत्री शकुन्तला देवी के साथ आपका विवाह हो गया। कालान्तर में नवनीत, मनमोहन और आशीष तीन पुत्र तथा सरिता व कल्पना दो पुत्रियां उत्पन्न हुई जिन्हें उन्होंने स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर तक की शिक्षा दिलाई। तीनों पुत्रों और दोनों पुत्रियों के सुयोग्य परिवारों में विवाह कर और स्वयं 30 जून 1993 को कॉलेज से सेवानिवृत हो सुखी पारिवारिक जीवन व्यतीत कर रहे थे कि विधाता से उनका यह सुख देखा न गया। कर्म गति की महिमा 11 नवम्बर 1995 को सहधर्मिणी सात माह हृदय रोग से ग्रस्त रह कर साथ छोड़ गईं। मानों यह आघात पर्याप्त नहीं था सो कर-काल ने एक के बाद एक दो और ऐसे जबरदस्त बज्रपात किए कि ब्रजकिशोर जी मानसिक और शारीरिक रूप से बिल्कुल टूट गए। 6 जनवरी 1999 को मात्र 12 घंटे की बीमारी में उनके युवा ज्येष्ठ पुत्र नवनीत जैन का पटना में निधन और लगभग इसी भांति 29 अप्रैल 2000 को छोटे दामाद श्री आशुतोष जैन की एटा में मृत्यु ऐसी हृदय विदारक घटनाएं हैं जिन्हें जिसने भी सुना सुनकर सन्न रह गया। 68 वर्षीय भाई ब्रजकिशोर पुस्तकों और समाचारपत्र-पत्रिकाओं पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास 160
SR No.010135
Book TitlePadmavati Purval Digambar Jain Jati ka Udbhav aur Vikas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjit Jain
PublisherPragatishil Padmavati Purval Digambar Jain Sangathan Panjikrut
Publication Year2005
Total Pages449
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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