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समाज-सेवाभावी
स्वतंत्रता संग्राम सेनानी श्री जुगमन्दरदास जैन
आपका जन्म सन् 1912 में एटा, उत्तर प्रदेश में हुआ। तेरह वर्ष की अल्पायु में ही आप नौकरी के लिए कलकत्ता आये। शिक्षा होने पर भी अर्थाभाव से पढ़ नहीं सके तो आपने शास्त्र स्वाध्याय और जन सम्पर्क से शिक्षा ली। सन् 1930 के स्वतंत्रता संग्राम हेतु राजनीति में भाग लेने देहली आये । दिल्ली जिला कांग्रेस स्वयं सेवक संघ कैम्प, दरियागंज का संचालन किया । क्रान्तिकारी पार्टी में सम्मिलित हुए ।
सन् 1938 के अन्तर्प्रान्तीय षड्यंत्र केस में देश के अनेकानेक क्रान्तिकारियों के साथ आपको भी गिरफ्तार किया गया। कई सप्ताह के लोमहर्षक यंत्रणाओं के बावजूद भी वे अडिग रहे । परिवार आश्रयहीन था। उनकी पत्नी टी. बी. की बीमारी से स्वर्गस्थ हो गईं। कोई ठोस सबूत न मिलने से उन्हें छोड़ दिया गया । किन्तु पुलिस की गिद्ध दृष्टि उन पर लगी रही। इसके बावजूद वह क्रान्तिकारियों से सक्रिय संबंध बनाये रहे । देशभक्ति की भावनायें यंत्रणाओं में और भी अधिक निखर आई थीं।
वहां से बंगाल आये। सन् 1934 के बाद कलकत्ता के कम्युनिस्ट और मजदूर नेता स्व. अब्दुल हलीम कामरेड, सोमनाथ लहरी व सरोज मुखर्जी आदि के सम्पर्क में उन्होंने मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट सिद्धान्तों का अध्ययन किया तथा वे उनके साथ मजदूर आंदोलन में भाग लेते रहे।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास