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जुटाया। अल्प समय में ही द्रुतगति से आठ नवीन अध्ययन कक्षों का निर्माण होते ही विद्यालय जुलाई 1951 में कोटला रोड पर नसिया जी स्थित नवीन भवन में आ गया। इन दिनों मुनीम जयन्ती प्रसाद जैन विद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष, भानु कुमार जैन लोहिया प्रबन्धक एवं मंत्री तथा पं. हाकिम सिंह उपाध्याय प्रधानाध्यापक थे। जिन लोगों ने धूप-गर्मी, वर्षा और शीत की बिना परवाह किये चन्दे की विपुल राशि एकत्र कर भवन निर्माण करा स्वपन साकार किया उनमें प्रमुख थे सर्वश्री स्व. पाण्डे श्रीनिवास, बाबू सुनहरीलाल मुख्तार, पाण्डे राजन लाल, लाला रामशरण पंसारी, लाला रघुवर दयाल, बाबू हजारीलाल, बाबू देवी प्रसाद और हकीम प्रेमचन्द्र आदि। जुलाई 1952 में विद्यालय को हाई स्कूल विज्ञान और वाणिज्य वर्ग में भी कक्षाएं प्रारम्भ करने की अनुमति मिल गई।
1952 में विद्यालय की प्रबन्ध समिति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ। पं. श्याम सुन्दर लाल शास्त्री के रूप में इसे एक सुयोग्य और समर्पित मंत्री तथा बाबू हजारी लाल जैन जैसा कुशल और लोकप्रिय प्रबन्धक प्राप्त हुआ। जुलाई 1953 के सत्र से विद्यालय को इण्टर आर्ट्स में कक्षाएं संचालित करने की अनुपति प्राप्त हो गई। नवीन कक्षाओं की मान्यता के साथ-साथ नये कमरों, नवीन साज-सज्जा तथा अतिरिक्त रक्षित कोष की आवश्यकता उठ खड़ी हुई। कोष की पूर्ति अध्यक्ष, मुनीम श्री जयन्ती प्रसाद जैन द्वारा आवश्यक राशि जमा करा देने से पूर्ण हो गई। कमरों की सज्जा के लिए पांच हजार का फर्नीचर बरेली से मंगाया गया। भवन निर्माण हेतु भूमि की समस्या मंत्री पं. श्याम सुन्दर लाल शास्त्री के अनवरत प्रयासों ग्राम-सभा मुहम्मदपुर गजमल पुर के सौजन्य
और सौहार्द तथा जिलाधिकारियों के कृपापूर्ण सहयोग से विद्यालय भवन से सटा हुआ 18 बिस्वा सरकारी बंजर भूमि खण्ड पट्टे पर मिल जाने से 147
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास