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शिक्षा के क्षेत्र में भी आपकी अमूल्य सेवाएं रही हैं। पी. डी. जैन इण्टर कालेज, फिरोजाबाद की प्रबंध समिति के आजीवन सदस्य थे। उसके उपाध्यक्ष पद पर भी रहे।
आप सोनागिर में पद्मावती पुरवाल पंचायत मंदिर नं. 5 की प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष भी रहे हैं।
दिल्ली में पद्मावती पुरवाल पंचायत के प्रभावी व्यक्तित्व रहे हैं। दिल्ली में पद्मावती पुरवाल दि. जैन पंचायत के तत्वावधान में एक मन्दिर एवं धर्मशाला का संचालन हो रहा है। इन दोनों के निर्माण में आपका जो योगदान रहा है, आने वाली पीढ़ियां सदियों तक याद करती रहेंगी ।
पं. माणिकचन्द्रजी न्यायाचार्य
पूज्य पंडित माणिकचन्द्र जी उन शीर्षस्थ विद्वानों में से एक थे जिनका जीवन धर्म और संस्कृति के लिए पूरी तरह समर्पित था । जिन्होंने चौदह वर्ष घोर परिश्रम करके डेढ़ लाख श्लोक प्रमाण नितान्त कठिन ' श्लोक वार्तिक' का हिन्दी भाष्य लिखकर अपनी उत्कृष्ट विद्वता का परिचय व प्रमाण दिया। इतना ही नहीं आपने इसके आदि और अन्त में बड़े क्लिष्ट शब्दों द्वारा गंभीर साहित्य के पचासों संस्कृत छन्दों का निर्माण कर ग्रन्थ के संक्षिप्त प्रमेयों का दर्शाया है। श्री विद्यानंद आचार्य कृत अठारह हजार श्लोक प्रमाण इस ग्रन्थ की किसी ने इससे पूर्व टीका नहीं की थी ।
आपका जन्म चावली जिला आगरा (उ.प्र.) में वि.सं. 1943 माघ शुक्ला पंचमी को लाला हेतसिंह जी वैद्य के घर माता श्री मल्लाबाई की कोख से हुआ।
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ग्यारह वर्ष की अवस्था में अपने ग्राम से चौरासी मथुरा विद्यालय में अध्ययन हेतु गये और वहां से बनारस प्रथम उत्तीर्ण कर जयपुर महापाठशाला पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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