________________
जानकारी है, वह पुस्तकों एवं अभिनन्दन ग्रन्थों के आधार पर तथा जो कुछ मैंने व्यक्तिगत तौर पर देखा, उस आधार पर है, अतः पूर्णतः प्रामाणिक है। हां, इतना मैं मानता हूं कि इसमें अभी पूर्णता नहीं है, क्योंकि समाज के लोगों से परिचित न होने के कारण अधिक जानकारी प्राप्त नहीं कर सका। अब समाज का दायित्व है कि आगामी प्रकाशन में उसे पूरा करें। इस हेतु जानकारियां प्रकाशक को भेजें।
इसमें जिन पुस्तकों एवं अभिनन्दन ग्रन्थों का सहारा लिया गया है, उनके लेखकों, सम्पादकों एवं प्रकाशकों का आभारी हूं। जिन-जिन महानुभावों ने सहयोग दिया, उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूं। चम्पाबाग दि. जैन मन्दिर लश्कर के प्रबन्धक श्री देवेन्द्रकुमार छाबड़ा का अत्यन्त आभार मानता हूं कि उन्होंने मन्दिर से कई पुस्तकें, अभिनन्दन ग्रन्थ उपलब्ध कराये। भतीजे चन्द्रप्रकाश जैन 'चन्दर', ग्वालियर का काफी सहयोग रहा। उसने मेरे साथ सोनागिर जी के पर्वतराज पर चलकर पद्मावती पुरवाल समाज के महानुभावों द्वारा कराये कार्य को बताया, नोट किया। भगवान चन्द्रप्रभु के मुख्य मन्दिर में काव्य रचना नोट कराई। मेरा नाती अभिषेक जैन मुझे श्री सम्मेदशिखर जी एवं उदयगिरि खण्डगिरि की यात्रा पर ले गया, वहां पर पद्मावतीपुरवाल जाति के जो पाटिये लगे हैं, उन्हें नोट किया।
इस इतिहास के प्रकाशन के पीछे टीस का भी मैंने अनुभव किया, जिन्होंने इसके प्रकाशन के प्रति उत्सुकता दिखाई, वे हैं श्री प्रतापचन्द जैन। मैं किन शब्दों में उनके और उनके संगठन के प्रति अपना आभार व्यक्त करूं, यह सोच नहीं पा रहा हूं। प्राचार्य नरेन्द्रप्रकाशजी की प्रेरणा एवं प्रोत्साहन तो इसके पीछे है ही। उनके स्नेह और अनुग्रह के प्रति नमन।
अन्त में विद्वत्ता एवं चारित्र से सम्पन्न समस्त पद्मावतीपुरवाल जाति को मेरा वन्दन-अभिनन्दन।
__-रामजीत जैन एडवोकेट टकसाल गली, दानाओली, लश्कर, ग्वालियर-474001, फोन 320245
Vin