SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णमोकार मन्त्र और रंग विज्ञान / 85 4 कहा गया है, "मैं बादलों मे अपना धनुष रखता हूँ और यह मेरे और पृथ्वी के मध्य एक प्रतिज्ञापत्र के रूप मे रहेगा ।" इसी अध्याय मे आगे कहा गया है, "यह धनुष बादलों में रहेगा और मे सदा उस पर दृष्टि खूगा कि ईश्वर और पृथ्वी के सभी जीवधारी जगत् के बीच यह प्रतिज्ञापत्र अमर रहे और मेरी स्मृति मे रहे। इन सातो रंगों को सृष्टि का जनक, रक्षक एव ध्वसक बताया गया है। सात रंग, सप्त ग्रह, सात शरीर चक्र, सप्तस्वर, सात रत्न, पाच तत्त्व, पांच इन्द्रियों और सप्त नक्षत्रो का घनिष्ठ सम्बन्ध है । महामन्त्र णमोकार की महिमा और गुणवत्ता का अनुसंधान रंग विज्ञान के धरातल पर भी किया जा सकता है। और इससे हमें एक सर्वथा नई समझ और नई दृष्टि प्राप्त हो सकती है। भौतिक शक्तियों पर नियन्त्रण करके उन्हे आध्यात्मिक उन्नति की दिशा में एक साधन के रूप मे स्वीकार करना ही होगा । एक आत्म-निर्भरता की मजिल आ जाने पर साधन स्वय ही छूटते चले जाते हैं । प्रतीकात्मकता : णमोकार मन्त्र में प्रतीकात्मक पद्धति अपनायी गयी है। प्रतीक के के बिना कोई मन्त्र महामन्त्र नही कहा जा सकता । इस मन्त्र मे जो अरिहन्त, सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय और साधु परमेष्ठी रखे गये हैं, वे सभी प्रतीक है । इसमे जो रंग रखे गये हैं, वे भी प्रतीक है । कलर और लाइट मे बहुत फर्क नही है । एक ही चीज है । कलर मे लाइट और साउण्ड सो रहे है । कलर स्त्री वाचक और लाइट पुरुष वाचक है। 1 ध्वनिदो रूपों में आकार ग्रहण करती है । ये दो रूप है वर्ण और अंक । वर्ण और अक का सम्बन्ध ग्रहो, नक्षत्रो, तत्त्वो और रंगो से होता है । वास्तव मे वर्ण का अर्थ रग ही है । ध्वनि को आकृति में बदलने के लिए प्रकाश और रग मे बदलना ही पडेगा । वर्णों के रंगो का वर्णन पहले साकेतिक रूप में किया जा चुका है। अंको के रंग प्रकार हैं एक का रग -लाल (अग्नि तत्त्व) दो का रंग - केसरिया तीन का रंग पीला
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy