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महामन्त्र णमोकार और ध्वनि विज्ञान / 75
शान्ति, पुष्टि दायक, मंगलीक कार्यों में सहायक, उत्पादक, लक्ष्मी उत्पत्ति में सहायक ।
कण्ठ ।
आकाश तत्वयुक्त ।
आकर्ष बीज, सर्वार्थक सिद्धिदायक शक्ति का आविष्कारक, सारस्वत बीज युक्त |
दन्त ।
वायु ।
पीतवर्ण, सुखदायक, परम कुण्डली युक्त शक्ति का स्फोटक, ध्वसक बीजों का जनक, शान्ति सूचक ।
मूर्धा ।
आकाश ।
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णमो अरिहताणं पदक जो शक्ति, तत्त्व और ध्वनि तरंग के आधार पर विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है उसमे यह सिद्ध होता है कि केवल 'नमो' पद में आकाश बीजो की प्रधानता, शान्ति प्रदायी शक्ति, सिद्धि शक्ति, लौकिक पारलौकिक सिद्धियो की शक्ति तथा सन्तानप्राप्ति में सहायक होने का अद्भुत गुण है । ध्वनि तरंग तो उक्त गुणो को मूर्धा से उच्चरित होने के कारण अमृतमय कर देती है । ण कार तो अमृतमय ध्वनितरंग युक्त है ही, साथ ही 'मो' मे ओष्ठ-ध्वनि तरंग के कारण 'णकर' ध्वनि का अमृत प्रभाव स्थाई हो जाता है । णमो ध्वनि
शब्द ब्रह्म की पूर्ण यथार्थता विद्यमान है । शब्द ब्रह्म, अमृत-वर्षी होता है। बस पाठक या जपकर्ता ने स्वच्छ एवं शुद्ध कण्ठ से पूरी मानसिक पवित्रता के साथ 'णमों' का उच्चारण किया हो, यह ध्यातव्य है। पूर्णतया सरल निर्विकार एवं निरहकारी व्यक्ति ही 'णमो' पद के पाठ का सही पात्र है । 'नमो' के उच्चारण मे 'मो' के उच्चारण के साथ ही मूर्धावर्ती अमृत शक्ति से सम्पूर्ण शरीर मे एक तृप्ति, तन्मयता एव निर्विकारता का संचार होता है। भक्त णमो पद के पाठ के साथ