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74 / महामन्त्र णमोकार - एक वैज्ञानिक अन्वेषण पवित्र ऋषि-मुख से या फिर आकाशवाणी के रूप मे प्रकट होते है। मन्त्र तो अनादि अनन्त हैं उसे केवल समय पर लोकवाणी में अवतरित होना होता है।
णमोकार मन्त्र का ध्वन्यात्मक विश्लेषण एवं निष्कर्ष णमो - ण-शक्ति : शान्ति सूचक, आकाश बीजो में प्रधान,
ध्वसक बीजो का जनक, शान्ति
स्फोटक। उच्चारण स्थान : मर्धा-अमत स्थल। मो- सिद्धिदायक-पारलौकि सिद्धियो का
प्रदाता मन्तान प्राप्ति में सहायक ।
म-ओष्ठ, ओ-अोष्ठ अरिहंताण- अ- अव्यय (अविनश्वर), व्यापक आत्मा
की विशुद्धता का सूचक, शुद्ध-वृद्ध ज्ञान रूप, प्राण-बीज का जनक ।
कण्ठ । तत्त्व वायु, सूर्य-ग्रह, स्वर्ण वर्ण, आकार
विशाल उक्त अविनश्वरता, गुणात्मकता, व्यापकता आदि तत्व मन्त्रित अरिहन्त पदवर्ती अकार मे है। विशद्ध पाठ अथवा जाप से उक्त शक्तियों एवं गुणो की प्राप्ति होती है। शक्ति केन्द्र, कार्य साधक, समस्त प्रधान बीजो का जनक, शक्ति का प्रस्फोटक। मूर्धा अमृत केन्द्र।
अग्नि । इ-शक्ति . गत्यर्थक, लक्ष्मी प्राप्ति।
उच्चारण स्थान : तालु। तत्त्व . अग्नि।