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64 महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण
2 कृत्रिम तालु (Fals Palete ) - यह धातु से बना एक कृत्रिम तालु है । इसे दन्त चिकित्सक ध्वनि परीक्षण के लिए तालु के आकार का बना देते है | इसमे फ्रेंच चाक या पाउडर लगाकर, इसे मुख मे रखकर तालु में जमा लेते है और परीक्षण योग्य ध्वनि को बोलते है । बोलते समय पाउडर पुछ जाता है। तुरन्त बाहर निकालकर फोटो लिया जाता है । इससे कृत्रिम तालु द्वारा ध्वनि के सही उच्चारण स्थान का पता लग जाता है । सर्वप्रथम इसका प्रयोग 1871 मे कीट्स ने किया ।
3. कायमोग्राफ - कायमोग्राफ के द्वारा उच्चारण के समय नासा रन्ध्र, मुख तथा स्वर तत्रियो के कम्पन को मारा जाता है । अघोष - सघोष ध्वनि भेद की स्पष्टता के लिए इस यन्त्र का उपयोग होता है । इससे अनुनासिकता तथा महाप्राणता भी नापी जाती है ।
4 इक राइटर - इस यन्त्र से उच्चरित ध्वनियों के सादा कागज पर चित्र बनते है ।
5 भिंगोग्राफ- स्वीडन के एक वैज्ञानिक ने इसका आविष्कार किया । ध्वनि परीक्षण के लिए कायमोग्राफ की तरह यह भी उपयोगी है।
6. आसिलोग्राफ - कायमोग्राम की श्रेणी का ही एक यन्त्र है । ध्वनि कम्पन, दीर्घता, ध्वनि लहर की परीक्षण इससे होता है। बोलने पर बनी ध्वनियों के शीशे पर चित्र दिखाते है । यह विद्युत चालित मशीन है ।
7 लाइरिगोस्कोप - ध्वनियों के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए यह यन्त्र उपयोगी है । स्वर यन्त्र एव स्वर तन्त्री की ध्वनियों के परीक्षण के लिए यह यन्त्र है ।
एक्सरे और टेप रिकार्डर का उपयोग तो ध्वनि-चित्रो के लिए आम हो गया है। टेप के द्वारा उच्चारण स्थल के निर्णय मे सहायता मिलती है ।
8 पैटर्न प्ले बैक – इसकी सहायता से ध्वनियों को दृश्यमान बनाया जाता है । इसके बाद ध्वनियों का विश्लेषण सहज एवं सरल हो जाता है ।
9 स्पीच स्ट्रेचर - विदेशी भाषा- ध्वनियों के सही ढंग से ग्रहण