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णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव | 157 शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि सम्मेद शिखर की वंदना करने वाले को तिर्यंच/नरक गति नही मिलती। प्यास के कारण यदि मैं आर्तभाव से मरूंगा तो तिर्यच गति में जाऊगा, मेढक बनूगा, क्या शास्त्र में लिखा मिथ्या हो जाएगा? थोडी देर बाद एक यात्री उधर से निकला और उसने बताया कि पास ही में एक तालाब है। वर्णाजी वहा गए, पास में छन्ना था ही, पानी छानकर पिया। प्यास शान्त हो गयी। याद आया कि पहले भी उन्होंने यहा परिक्रमा की थी, तब तो यह तालाब था नही। गौर से देखने पर न तो वहा आस-पास आगे-पीछे वह यात्री था, न तालाब, लेकिन प्यास अव बुझ गयी थी और परिक्रमा में उत्साह आने लगा था। -सिंघई गरीब दास जैन (64 वर्ष) कटनी (म० प्र०)
2 णमोकार मन्त्र को मैं अपने जीवन का मूल-मन्त्र मानता है। जब कभी मुझे ऐसा लगता है कि मैं किसी कठिनाई में फस गया ह, उस समय यह मन्त्र मुझे बडी शक्ति देता है। मैं ऐसा मानता ह कि जैसे कही कोई विद्यत् कौंध जाती हो, कोई इलेक्ट्रिक वेव आकर मिल जाती हो, उसी तरह से मेरे मानस पर भीतर और बाहर जब मैं देखता हू, इस मन्त्र का ही प्रभाव मानता हूँ।
-देवेन्द्र कुमार शास्त्रो, नीमच (म०प्र०) 3 अद्भुत प्रभाव/महान् लाम- इस मन्त्र का जाप करते समय अपूर्व आनन्द की अनुभूति होती है। मैं एक सास में जप करता है । मैंने जीवन के उन क्षणो में भी जप किया है जब विघ्न-बाधाओ की घटाएं उमड-घुमडकर छायी थी। पर जाप करते ही दाक्षिणात्य पवन की तरह वे कुछ ही क्षणो में नष्ट हो गयी थी।
जीवन मे मैं शताविक बार इस मन्त्र का अद्भुत प्रभाव देख चुका है।
-देवेन्द्र मुनि शास्त्री (49 वर्ष), उदयपुर ___4. अनुभूति अभिव्यक्ति से परे-इसके जाप से मन मे शान्ति और एकाग्रता की जो अनभूति होती है, वह अभिव्यक्ति से परे है। जब भी जीवन में बाधाएं आयी, उस समय प्रस्तुत मन्त्र के जाप से वे उसी तरह नष्ट हो गयी और ऐसा लगा कि सूर्योदय से अन्धकार नष्ट हो जाता है।
-राजेन्द्र मुनि (26 वर्ष) उदयपुर 5. मन्त्रोच्चारण का प्रभाव-मन्त्रोच्चार से चित्त में प्रसन्नता, परिणामों में मग्नता और निर्मलता आती है। पर्वत की चोटी पर,