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चार-शरण
142 / महा पन्ध णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण चार-लोकोत्तम चसारि लोगोत्तमा, अरिहता लोगोत्तमा,
सिद्धा लोगोत्तमा, साडू लोगोत्तमा, केवली पण्णत्तो धम्मो
लोगोत्तमा॥ चत्तारि शरण पवज्जामि, अरिहता शरण
पवज्जामि, सिद्धा शरण पवज्जामि, साहू शरण पवज्जामि केवली पण्णत्त धम्म
शरण पवज्जामि॥ अर्थात-चार चार का यह विक जीवन का सर्वस्व है। चार मगल हैं-अरिहन्त परमेष्ठी, सिद्ध परमेष्ठी साधु
परमेष्ठी और केवली प्रणीत धम। चार लोकोत्तम हैं-अरिहन्त परमेष्ठी, सिद्ध परमेष्ठी, साधु
परमेष्ठी और केवली प्रणीत धर्म। चार शरण है-इस ससार से पार होना है तो ये चार ही
राबल तम शरण रक्षा के आधार है।अरिहन्त परमेष्ठी, सिद्ध परमप्ठी, साधु पर
मेष्ठी और केवली प्रणीत धर्म । एमा पञ्चणमोयारो-गाथा की व्यारया आचार्य सिद्धचन्द्र गणि ने इस प्रकार की है--(एष पचनमस्कार प्रत्यक्षविधीयमान पचानामहदावीना नमस्कार प्रणाम ।)
सच कीदृश ? सर्वपाप प्रणाशन । सर्वाणि च तानि पापानि च सर्वपापानि इति कर्मधारय । सर्व पापाना प्रकर्षेण नाशनो विध्वसक सर्वपाप प्रणाशन , इति तत्पुरुष । सर्वेषा द्रव्यभाव भवभिन्नाना मङ्गलाना प्रथमिवमेव मङ्गलम् । ___पुन सर्वेषा मङ्गलाना-मङ्गल कारकवस्तूना दधिदूर्वाऽक्षतचन्दननारिकेल पूर्णकलश स्वस्तिकदर्पण भद्रासनवर्धमान मत्स्ययुगल श्रीवत्स नन्द्यावर्तादीना मध्ये प्रथम मुख्य मगल मङ्गल कारको भवति। यतोऽस्मिन् पठिते जप्ते स्मृते च सर्वाग्यपि मङ्गलानि भवन्तीत्यर्थः ।