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महामन्त्र थमोकार अर्थ, व्याख्या (पदक्रमानुसार) / 139 "ओंकारं बिन्दु संयुक्तं, नित्यं ध्यायन्ति योगिनः ।
कामवं मोक्षदं चैत्र, ओंकाराय नमो नमः॥" ओकार को कई प्रकार से लिखा जाता है(1) ओम्, (2) ओम्, (3) ॐ।
जैन परम्परा मे तीसरा रूप (ॐ) हा प्रचलित है। * का चन्द्रबिन्दु सिद्धो का प्रतीक है और अर्धचन्द्र है सिद्धशिला का प्रतीक । आशय यह हुआ कि ॐ कार के नियमित स्तवन और जाप से भक्त स्वयसिद्ध स्वरूप की प्राप्ति करता है। असिउसा
णमोकार मन्त्र का यह एक संक्षिप्त रूप और है । सक्षेपीकरण इस प्रकार है
अरिहन्त सिद्ध आचार्य उपाध्याय
साधु भक्तो में इस बीजाक्षरी संक्षिप्त मन्त्र का भी खूब माहात्म्य एवं प्रचलन है। इसमें प्रत्येक परमेष्ठी का पहला अक्षर ज्यो का त्यो लेकर उसकी निर्विकारता की पूरी रक्षा का भाव है। अतः जिन भक्तो के पास समय और शक्ति की कमी है वे इस सक्षिप्त मन्त्र के द्वारा भी पूर्ण लाभ ले सकते हैं।
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