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________________ योग और ध्यान के सन्दर्भ में गमोकार मन्त्र | 111 ध्यान में निश्चलता आती है। आत्मोपलब्धि या सत्योपलब्धि के लिए सकल्प चाहिए और इस सकल्प की आवृत्ति सदा एकाग्र ध्यान में होती रहे, यह आवश्यक है। संकल्प का एक दिन हिमालय को हिला सकता है, जबकि अनिश्चितता की पूरी उम्र हिमालय का एक कण भी नहीं हिला सकती। सकल्प से ही ऊर्जा का प्रस्फुटन होता है। प्रचलित अर्थ मे ध्यान का अर्थ होता है किसी आवश्यक कार्य में तात्कालिक रूप से लगना-मन को एकाग्र करना। काम हो जाने पर निश्चिन्त हो जाना । फिर अपनी आलस्य और प्रमाद की स्थितियों में खो जाना। यह बात योगपरक ध्यान में नही होती है। वहां तो स्थिरता और लौटने की सकल्पात्मकता होती है। योग, ध्यान और समाधि ये शब्द प्राय समानार्थी भी माने गये है। ध्यान की चरम सीमा ही समाधि है। शरीर और मन की एकरूपता न हो तो ध्यान का पूर्ण स्वरूप नही बनता है। हाथ मे माला फेरी जा रही हो और मन मदिरालय मे हो तो क्या होगा? पहली स्थिति तो निश्चित रूप से असाध्य रोग की है। दूसरी स्थिति मे वर्तमान तो ठीक है पर आगे कभी भी खतरा हो सकता है। इन्द्रिया और विषय आकृष्ट कर सकते है। अन ध्यान मे शरीर और मन की एकरूपता आत्यावश्य है । सकल्प आवृत्ति और सातत्य चाहता है। ध्यान चार प्रकार का बताया गया है-आर्त, रौद्र, धर्म और शुक्ल । इनमे आर्त और रौद्र ध्यान कुध्यान है तथा धर्म और शुक्ल ध्यान शुभ ध्यान है। सामारिक व्यथाओ को दूर करने के लिए अथवा कामनाओ की पूर्ति के लिए तरह-तरह के सकल्प करना आर्तध्यान है और हिमा, झूठ, चोरी, कुशील आदि के सेवन में आनन्दित होना रोद्र ध्यान है। इन्हे पाने के लिए तरह-तरह के कुचक्रो की कल्पना करना भी रोद्र ध्यान ही है । धामिक बातो का निरन्तर चिन्तन करना और नैतिक जीवन मूल्यों के प्रति निष्ठा रखना धर्म ध्यान है। शुक्ल ध्यान श्वेतवर्ण के समान परम निर्मल होता है और इसे अपनाने वाला साधक भी परम निर्मल चित्त का होता है। णमोकार महामन्त्र का योग के साथ गहरा सम्बन्ध है। योग साधना के द्वारा हम शरीर और मन को सुस्थिर करके शान्त चित्त से पंच परमेष्ठी की आराधना कर सकते हैं। "ध्यान चेतना की वह
SR No.010134
Book TitleNavkar Mahamantra Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain, Kusum Jain
PublisherKeladevi Sumtiprasad Trust
Publication Year1993
Total Pages165
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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