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98 / महामन्त्र णमोकार एक वैज्ञानिक अन्वेषण उनसे उत्पन्न होने वाले रंग हमारे आन्तरिक एव बाह्य जगत् के विकास एव ह्रास मे महत्त्वपूर्ण योग देते हैं।
णमोकार महामत्र के पांचों पदो के पाच प्रतिनिधि रंग हैं, इससे हम 'परिचित ही हैं। किस रंग का हमारे लौकिक और पारलौकिक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, यह जानने की हमारी सहज उत्सुकता होती ही है। पर, रग पैदा कैसे होते है ? रग पैदा होते है प्रकम्मन आवत्ति के द्वारा (Frequency) फ्रीक्वेन्सी कैसे और किससे पैदा होती है ?...वह शब्द या ध्वनि के फैलाव से पैदा होती है। सात हजार की फ्रीक्वेन्सी से लाल रग पैदा होता है। णमो सिद्धाण की ध्वनि से सात हजार की फ्रीक्वेन्सी पैदा होती है-इसीलिए लाल रग है उसका। णमो आयरियाण 6000 की ध्वनियो की फ्रीक्वेन्सी उत्पन्न करने की शक्ति है। 6000 की फ्रीक्वेन्सी पीले रंग को उत्पन्न करती है। णमो उवज्झायाण मे 5000 की फ्रीक्वेन्सी की ताकत है अर्थात णमो उवज्झायाण की ध्वनि में 5000 की फ्रीक्वेन्सी की शक्ति है। इससे स्वत ही नीला और हरा रंग पैदा हो जाता है। ___ध्वनियो के सघात से, जप से, उच्चारण से किम प्रकार की फ्रीक्वेन्मी पैदा होती है ? यह ईश्वर में प्रकपन्न पैदा करती है। इन रंगो का शरीर के विभिन्न भागो पर प्रभाव पड़ता है। यह प्रभाव क्षतिपूरक एवं शक्तिवर्धक होता है । हीलिंग में प्राण और रग महत्त्वपूर्ण है।
मन्त्रस्थ रगो का शरीर और मन पर प्रभाव-'णमो अरिहताण' पद का श्वेत रग आपको रोगो से बचाता है और आपकी पाचन शक्ति को ठीक करता है। मानसिक निर्मलता और सरक्षण शक्ति भी इसी पद के श्वेतवर्ण से प्राप्त होती है । णमो सिद्धाण' का लाल वर्ण शक्ति क्रिया और गति का पोषक है। नियन्त्रण शक्ति (Controlhng power) भी इससे ही बढ़ती है। णमो आइरियाण' का पीला रंग सयम और आत्मबल का वर्धक है। चारित्र्य का भी यह पोषक है। 'णमो उवज्झायाण' शरीर मे शान्ति एव समन्वय पैदा करता है । इस नीले की महिमा है। हृदय, फेफडे, पसलियो को भी यह रग ठीक करता है। ‘णमो लोए सब्ब साहूणं' का काला रग है। यह शरीर की निष्क्रियता
और अकर्मण्यता को दूर करता है। कर्म दमन और सघर्ष शक्ति इस वर्ण मे है । साधु परमेष्ठी अनथक संघर्ष के प्रतीक हैं।