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विमित्र मावनाओं के अनुसार विभिन्न फल
हम पहले भी कह चुके हैं कि हिसा व अहिसा का हमारे मन की भावनाओ से बहुत गहरा सम्बन्ध है । वास्तविकता तो यह है कि हमे कोई भी कार्य करना हो, पहले हमारे मन मे वह कार्य करने की भावना उत्पन्न होगी, उसके पश्चात् ही हम उस भावना के अनुसार कार्य करेंगे। विभिन्न कर्त्ताओ की विभिन्न भावनाए होने के कारण एक ही प्रकार के कार्य का भिन्न-भिन्न कर्त्ताओ को भिन्न-भिन्न फल मिलता है । नीचे दिये हुए उदाहरणो से यह तथ्य स्पष्ट हो जायेगा ।
(१) दो व्यक्ति मिल कर हिसा का कोई कार्य कर रहे हैं । उनमे से एक व्यक्ति तीव्र इच्छा से वह कार्य कर रहा है और दूसरा व्यक्ति अनिच्छा से उस कार्य मे सहायता कर रहा है, तो दूसरा व्यक्ति भी हिसा के दोष से बच नहीं सकता । इतना अवश्य है कि पहले व्यक्ति की अपेक्षा दूसरा कम दोषी होगा ।
(२) एक बधिक एक पशु की हत्या कर रहा है। कुछ दर्शक वहा पर खडे हुए उसको प्रोत्साहन दे रहे हैं । यद्यपि यहां पर हिसा करने वाला एक ही व्यक्ति है, परन्त प्रोत्साहन देने के कारण उन दर्शको को भी अपनी-अपनी भावनाओ के अनुसार हिसा का दोष लगेगा ।
(३) एक राजा अपनी सेना को दूसरे देश पर आक्रमण के लिए भेजता है, आक्रमण की सारी योजना भी वह स्वय हो बनाता है । यद्यपि ऊपरी तौर पर राजा ने हिसा का कोई कार्य नही किया और सारा रक्तपात सेना द्वारा ही किया गया, फिर भी राजा उस हिंसा मे सबसे अधिक
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